कोसी नदी का फिर से बढ़ने लगा जल स्तर, तटबंध के भीतर बसे लोगों की बढ़ने लगी है बेचैनी

मानसून के आगमन के साथ ही कोसी तटबंध के अंदर बसे लोगों में डर और चिंता बढ़ गई है

By Prabhat Khabar News Desk | June 26, 2024 10:17 PM

सुपौल. मानसून के आगमन के साथ ही कोसी तटबंध के अंदर बसे लोगों में डर और चिंता बढ़ गई है. हर साल की तरह इस बार भी नेपाल के तराई व पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश और बढ़ते जल स्तर की वजह से इन क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. तटबंध के अंदर अवस्थित जिले के 05 प्रखंड के 19 पंचायतों के लोगों को हर साल उजड़ना व बसना नियति बन गई है. कोसी तटबंध के अंदर बसे लोग मानसून के दौरान हर साल जीवन और संपत्ति के नुकसान का सामना करते हैं. उनके रिहायशी क्षेत्र अक्सर जलमग्न हो जाते हैं, जिससे उनका सामान्य जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है. इससे न सिर्फ लोग परेशान होते हैं बल्कि खेतों में खड़ी फसलें और पशुधन बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं, जिससे ग्रामीणों की आजीविका को गंभीर खतरा है. सुकेला के रमेश कुमार बताते हैं, मानसून के समय हमें हमेशा डर रहता है. पानी का स्तर बढ़ते ही हमारे घर पानी में घिर जाते हैं, और हमें तुरंत सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ता है.

13 घंटे में 39 हजार 890 क्यूसेक बढ़ा पानी

नेपाल में हो रही भारी बारिश के कारण कोसी नदी के जलस्तर बढ़ने लगी है. पिछले 13 घंटों में शाम 06 बजे तक कोसी बराज पर 39 हजार 890 क्यूसेक पानी बढ़ा है. वहीं बारह क्षेत्र में 26 हजार 475 क्यूसेक पानी बढ़ा है. यह अचानक बढ़ोतरी नेपाल और भारत दोनों के लिए चिंता का विषय है. बारिश ने कोसी नदी के जल स्तर को तेजी से बढ़ा दिया है, जिससे कोसी बराज पर दबाव बढ़ गया है. बढ़ते जल स्तर से नदी के किनारे बसे ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है, जिससे स्थानीय प्रशासन अलर्ट पर है.

प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासन ने सतर्कता बढ़ा दी है और संभावित

आपातकालीन उपायों के लिए तैयारियां की जा रही हैं. बराज पर संध्या छह बजे कोसी नदी का डिस्चार्ज 01 लाख 53 हजार 640 क्यूसेक बढ़ते क्रम में दर्ज किया गया. वहीं बराह में 92 हजार 750 क्यूसेक घटते क्रम में दर्ज किया गया. मालूम हो कि कोसी बराज, जो नेपाल और भारत के बीच की एक महत्वपूर्ण जल संरचना है, इन दोनों देशों के जल प्रबंधन में अहम भूमिका निभाता है. भारी बारिश और बढ़ते जल स्तर से दोनों देशों के क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है.

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