अपनी उपयोगिता खो रहा नापतौल विभाग
कुछ दिन पूर्व पिपरा हाट में मछली कम तौलने को लेकर हुए विवाद में ग्राहक के साथ मारपीट की गयी थी
पिपरा. सरकार का नापतौल विभाग अपनी उपयोगिता खोता जा रहा है. नापतौल विभाग की उपयोगिता सिर्फ लाइसेंस देने तक ही सीमित होकर रह गयी है. कुछ दिन पूर्व पिपरा हाट में मछली कम तौलने को लेकर हुए विवाद में ग्राहक के साथ मारपीट की गयी थी. बीच-बचाव के बाद मामला सुलझा. लेकिन ऐसे कितने लोग हैं, जो बाजार में सामान खरीद कर पुनः घर पर नापते हैं और विरोध जताते हैं. हाट बाजार, सब्जी बाजार, मछली, मांस बाजार में तो कम तौलने की बात आम हो गयी. आम लोग इसे मानकर चलने भी लगे हैं. हद तो बड़े-बड़े प्रतिष्ठानों की है. जहां डिजिटल तराजू से भी कम तौला जा रहा है. ग्राहक मानते हैं कि डिजिटल तराजू है तो नाप सही ही होगा, लेकिन यहां भी भारी हेरा-फेरी है. सरकार की नापतौल विभाग की स्थापना के पीछे की सोच भी यही रही होगी कि ग्राहक व्यापारियों द्वारा ठगे नहीं जाएं. उन्हें उचित मूल्य पर उचित वजन मिले. लेकिन विभाग की उदासीनता के कारण सरकार की सोच धरी की धरी रह गयी है. ग्राहक ठगे जा रहे हैं. पहले नापतौल विभाग के अधिकारी कभी-कभी दुकानों पर जाकर बाटो की जांच करते देखे भी जाते थे. लेकिन अब तो यह बाद की बात हो गयी है. हाट में आज भी डंडी तराजू व घिसे-पिटे वाट से आज भी मांस मछली सब्जी हाट पर बिकते हैं. जिसे कोई देखने वाला नहीं है.
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