सात मई को पहले डालेंगे वोट फिर करेंगे मजदूरी
लोकतंत्र की मजबूती के लिए असंगठित क्षेत्र के मजदूर हैं तैयार
लोकतंत्र की मजबूती के लिए असंगठित क्षेत्र के मजदूर हैं तैयार
राजीव कुमार झा, सुपौल
सुबह-सुबह जिला मुख्यालय स्थित महावीर चौक के समीप साइकिल पर कुदाली, दबिया, करनी लिए बड़ी संख्या में खड़े मजदूर व राज मिस्त्री हर आने-जाने वालों को उम्मीद भरी निगाह से देख रहे थे कि शायद उन्हें कोई काम कराने के लिए घर ले जाए. जिन्हें लोग काम के लिए ले जा रहे थे व खुश नजर आ रहे थे. जिन्हें अब तक कोई काम के लिए नहीं ले गये व मायूस नजर आ रहे थे. इसी दौरान एक स्मार्ट युवक जिला प्रशासन द्वारा लगायी गयी होर्डिंग को पढ़ रहे थे. वहीं खड़े दूसरे मजदूर ने पूछा महेश भाई क्या पढ़ रहे हो. युवक ने जवाब दिया 07 मई को अपने यहां लोकसभा चुनाव है. उस दिन स्थायी काम मिलने पर छुट्टी मार लेना वोट डालने जाना है. इतना सुनते ही दूसरे युवक झल्ला गये क्या वोट डालने से पेट भर जाएगा. तो उक्त युवक ने कहा यही हम लोगों की सबसे बड़ी कमजोरी है. कर्तव्य निभाने से पहले ही रिजल्ट की सोचने लगते हैं. वैसे भी लोकतंत्र में यह हमारा सबसे बड़ा अधिकार है. वोट डाल हम अपने लोकतंत्र को मजबूत करते हैं. इतना सुनते ही पास खड़े बालेश्वर, महानंद, सचिन, देवेंद्र ने कहा एक दिन छुट्टी कर अपने लोकतंत्र को मजबूत बनाने में अपनी सहभागिता जरूर निभाएंगे. वहीं खड़े दूसरे सज्जन रामवीर ने कहा यही कारण है कि गांव में आज कल अधिकारियों की गाड़ी दौर रही है. साहेब जगह जगह जागरूकता अभियान में लोगों से अधिक से अधिक संख्या में मतदान करने की अपील कर लोगों को संकल्प भी दिला रहे हैं. जबकि दूसरे मजदूर ने कहा कि सुबह सबेरे मतदान के बाद वह काम पर चले जाएंगे. इससे उसका दोनों काम हो जाएगा.
गांवों में लोगों से प्रशासनिक अधिकारी मतदान करने की कर रहे अपील
स्विप कार्यक्रम के तहत जिलाधिकारी से लेकर तमाम अधिकारियों द्वारा मतदान प्रतिशत बढ़ाने को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. डीएम लोगों से अधिक से अधिक संख्या में मतदान करने की अपील कर रहे हैं. डीएम कौशल कुमार कहते हैं कि हमारा लक्ष्य गांवों में रहने वाले 88.69 प्रतिशत लोगों से शत प्रतिशत मतदान कराना है.
01 लाख 60 हजार मजदूर रहते हैं गांव से बाहर
जिले के एक लाख 59 हजार 156 मतदाता ऐसे हैं, जो गांव छोड़ रोजी-रोटी की तलाश में परदेश में रहते हैं. जबकि 12 लाख 78 हजार 216 मतदाता आज भी गांव में रहते हैं. जिला प्रशासन द्वारा जारी सर्वेक्षण सूची में 1431 मतदान केंद्रों का सर्वेक्षण कराया गया. जिसमें 14 लाख 41 हजार 143 मतदाता का सर्वेक्षण किया गया. जारी सर्वेक्षण सूची के अनुसार रोजी-रोटी की तलाश में जिले के मात्र 11.4 प्रतिशत लोग बाहर रहते हैं. जबकि 88.69 प्रतिशत लोग आज भी गांवों में रहते हैं. इसमें सबसे कम त्रिवेणीगंज 8.25 प्रतिशत लोग बाहर रहते हैं. जबकि सबसे अधिक मरौना के लोग 14.56 प्रतिशत रोजी-रोटी की तलाश में बाहर रहते हैं.