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सुपौल के युवक ने 17 दिनों में 1100 किमी दौड़ लगा कर प्रयागराज में लगायी आस्था की डुबकी

बताया कि उसके साथ चल रहे दोस्तों ने सिमरी बख्तियारपुर में ही साथ छोड़ दिया

रौशन सिंह, सुपौल देश की सेवा के लिए तत्पर अग्निवीर में चयनित सुपौल के सपूत रूपेश धावक ने 1100 किलोमीटर की दौड़ लगा कर प्रयागराज में 144 वर्ष बाद लगे महाकुंभ में आस्था का डुबकी लगा कर जहां कीर्तिमान स्थापित किया है. 12 फरवरी को अपने घर लौटे पिपरा प्रखंड के रामनगर पंचायत वार्ड नंबर 19 कौशलीपट्टी गांव निवासी राम प्रवेश यादव के पुत्र 20 वर्षीय रूपेश ने शुक्रवार को प्रभात खबर से खास बातचीत की. जहां रूपेश ने बताया कि उन्हें 20 जनवरी की रात स्वप्न आया कि मैं दौड़ते हुए महाकुंभ स्नान के लिए जा रहा हूं. 21 जनवरी की सुबह उन्होंने महाकुंभ जाने की तैयारी शुरू कर दी. बताया कि वह सहरसा में रह कर बीसीए फर्स्ट इयर की पढ़ाई कर रहा है. बताया कि उनके पास महज तीन सौ रुपये ही था. उन्होंने उस तीन सौ रुपये से एक पोस्टर व क्यूआर कोड बनवाया. जिसके बाद 23 जनवरी को 12 बजे दिन में अपने दोस्तों के साथ प्रयागराज के लिए सहरसा से दौड़ते हुए निकल पड़ा. बताया कि उसके साथ चल रहे दोस्तों ने सिमरी बख्तियारपुर में ही साथ छोड़ दिया. लेकिन आस्था का ऐसा जुनून था कि वह रुकने का नाम नहीं ले रहा था और वह निरंतर आगे बढ़ते चला. इस दौरान उन्हें कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ा. यात्रा के 17वें दिन 08 फरवरी को प्रयागराज पहुंचे. जहां उन्होंने संगम में आस्था की डुबकी लगायी. दानापुर रेलवे स्टेशन पर पर्स व मोबाइल की हो गयी चोरी रूपेश धावक ने बताया कि वे अपने परिवार को बिना बताये ही इस कठिन यात्रा पर निकल पड़े. इस दौरान लोगों का भरपूर सहयोग भी मिला. लोगों ने जगह-जगह खिलाने से लेकर आर्थिक रूप से भी मदद किया. बताया कि वे हर दिन 08 से 10 घंटे तक दौड़ लगाते थे. उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान सबसे अधिक परेशानी 01 फरवरी की रात हुई. दानापुर रेलवे स्टेशन पर रात्रि विश्राम के लिए रुके. जहां देर रात उनके पास रखे मोबाइल व पर्स किसी ने चोरी कर ली. जब वे सुबह उठे तो उसके पास पर्स व मोबाइल नहीं था, जिससे वे काफी निराश हो गये. जिसके बाद किसी तरह इसकी जानकारी अपने परिजनों को दी. परिजनों ने उन्हें दानापुर में पुन: एक मोबाइल उपलब्ध कराया. जिसके बाद फिर से बार आस्था की जुनून के साथ अपनी मंजिल की ओर बढ़ चले. मैराथन में गोल्ड प्राप्त करना है लक्ष्य रूपेश ने बताया कि उनका वर्ष 2024 में अग्निवीर बहाली में चयन हुआ है. बताया कि उनका सपना देश के लिए मैराथन में गोल्ड मेडल लाना है. रुपेश ने सरकार से इसके लिए मदद की मांग की है. रूपेश ने बताया कि यात्रा के दौरान बिहार में जहां लोगों का भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ, वहीं प्रयाग राज पहुंचने पर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. कहा कि जब वहां पर अपना परिचय भी किसी को देते थे कि वे दौड़ कर संगम में डुबकी लगाने आये हैं तो भी उसकी बात को ना तो वहां के लोग और ना ही प्रशासन सुनने को तैयार था. कहा कि इतना ही नहीं वहां पर एक प्लेट खाना का भी 200 रुपये से अधिक कीमत चुकानी पड़ती थी. लोगों का मिला भरपूर प्यार यात्रा के दौरान रूपेश धावक का सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वीडियो भी वायरल हुआ. रूपेश ने बताया कि वे अपने सोशल मीडिया के माध्यम से भी प्रत्येक दिन के यात्रा का अपडेट लोगों को देते रहते थे. कहा कि रास्ते में जहां लोगों का अपार प्यार मिला, वहीं सोशल मीडिया पर भी देश-विदेश के लोगों का समर्थन मिलता रहा. पिता को लोग मार रहे थे ताने रूपेश के पिता रामप्रवेश यादव ने बताया कि वे खेती-गृहस्थी कर अपने पुत्र को उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए सहरसा भेजा. बताया कि जब रूपेश महाकुंभ यात्रा के लिए निकलते तो इसकी जानकारी ग्रामीणों द्वारा मिली. कई लोगों ने तरह-तरह के ताने भी देने लगे. लेकिन रूपेश के ऊपर आस्था का ऐसा जुनून सवार था कि उसने महाकुंभ में डुबकी लगा कर सबकी बोलती बंद कर दी.

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