पटना. स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसवीयू) ने बुधवार को बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम के अधीक्षण अभियंता अरुण कुमार को 50 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया. ठेकेदार गणेश कुमार से एस्टीमेट वृद्धि को मंजूरी के बदले एक लाख रुपये की डिमांड की थी. उसके बेऊर जेल रोड स्थित तीन मंजिल आवास से लगभग 20 लाख नकद और करीब 36 लाख के जेवरात मिलने के प्रमाण मिले हैं. मकान में अब भी निर्माण चल रहा है. सगुना मोड़ पर एक फ्लैट है.
दोनों घरों की कीमत करीब एक करोड़ से अधिक है. चल-अचल संपत्ति आैर बैंक खाते की जांच अलग से की जा रही है. गया जेल परिसर में सीआरपीएफ के लिए 300 सिपाही की क्षमता वाला बैरक, कोत मैगजीन और प्रशासनिक भवन का निर्माण किया जाना है. इस कार्य का छह करोड़ 6 लाख 39 हजार 734 रुपये में इकरारनामा हुआ था. नक्शे में बदलाव के कारण निर्माण का बजट बढ़ गया. इसकी स्वीकृति के लिए इंजीनियर अरुण कुमार ने एक लाख रुपये की रिश्वत मांगी. ठेकेदार गणेश कुमार को यह रकम पचास-पचास हजार कर दो बार में देनी थी. ठेकेदार ने इसकी स्पेशल विजिलेंस यूनिट में शिकायत दर्ज करायी थी.
आरोप की जांच के लिए एसवीयू के एडीजीपी नैय्यर हसनैन खान ने जांच दल का गठन किया. जांच रिपोर्ट के आधार पर इंजीनियर के खिलाफ केस दर्ज ( संख्या 11/22) दर्ज किया गया. रंगे हाथ पकड़ने के लिए योजना तैयार की गयी. बुधवार को ठेकेदार ने बिहार पुलिस बिल्डिंग कॉरपोरेशन के कार्यालय में जैसे ही अधीक्षण अभियंता अरुण कुमार को 50 हजार रुपये रिश्वत दिये, डीएसपी चन्द्रभूषण के नेतृत्व में एसवीयू की टीम ने उसे रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया.
पूछताछ के बाद उसके घर पर छापा मारा. एडीजीपी विशेष सतर्कता इकाई नैय्यर हसनैन खान ने बताया कि पुलिस भवन निर्माण निगम के अधीक्षण अभियंता अरुण कुमार के खिलाफ 16 अगस्त को को पीसी अधिनियम 1988 की धारा 7 के तहत रुपये की रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के लिए एसवीयू केस नं. 11/2022 दर्ज किया . गणेश कुमार ठेकेदार से पहली किश्त के रूप में 50 हजार स्वीकार करते हुए रंगेहाथ पकड़ा गया है. इस मामले में आगे की कार्रवाई चल रही हैं.