बिहार की सियासत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए भी राहत भरी खबर है. उच्चतम न्यायालय ने उनके खिलाफ आए एक महत्वपूर्ण याचिका को खारिज कर दिया है. जिसके बाद अब नीतीश कुमार ही बिहार के मुख्यमंत्री रहेंगे. जदयू ने हाल में ही भाजपा से अलग होकर महागठबंधन में खुद को शामिल कर लिया और राजद व अन्य दलों के साथ मिलकर नयी सरकार का गठन किया. इसे गलत करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी गयी थी जिसे खारिज कर दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सीएम पद से हटाने की मांग करने वाली दायर याचिका को खारिज कर दिया है. जदयू का महागठबंधन के साथ सरकार में आने को गलत बताते हुए उनके खिलाफ याचिका दायर की गयी थी. लेकिन यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में टिक नहीं सकी और इसे खारिज किया गया. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने इसके पीछे की मजबूत वजह भी बतायी है.
दो जजों की पीठ के अनुसार, जदयू का चुनाव परिणाम आने के बाद नये गठबंधन के साथ मिलकर सरकार बना लेना संविधान के अनुरूप ही है. याचिका खारिज करने वाले जजों के अनुसार, कुछ शर्तों के साथ चुनाव के बाद भी गठबंधन की अनुमति दी जाती है. संविधान की दल बदल विरोधी कानून और 10 वीं अनुसूची में इसकी इजाजत दी गयी है. इसलिए जदयू का नयी सरकार बना लेना गलत नहीं है. बता दें कि अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कुर्सी को इस याचिका से कोई खतरा नहीं है.
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गौरतलब है कि नयी सरकार के खिलाफ जो याचिका दायर की गयी थी उसमें कहा गया था कि जदयू ने चुनाव के बाद महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बना लिया है, जो वोटरों के साथ धोखा है. याचिका में कहा गया है कि हॉर्स ट्रेडिंग और भ्रष्ट व्यवहार के कारण नागरिकों को स्थायी सरकार देने से वंचित किया गया. बता दें कि हाल में ही जदयू ने खुद को एनडीए से अलग कर लिया और भाजपा से नाता तोड़कर राजद के नेतृत्व वाली महागठबंधन का भाग बन गये और नयी सरकार का गठन कर लिया है.
Posted By: Thakur Shaktilochan