पटना. सारण में हुई जहरीली शराब से मौत को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. इस याचिका में जहरीली शराब कांड की जांच एसआईटी से कराये जाने और साथ ही साथ शराब कांड के पीड़ित परिजनों को आर्थिक मदद मुहैया कराये जाने की गुहार लगायी गयी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह मामला पहले हाईकोर्ट के सामने जाना चाहिए. न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई से इनकार किया.सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की इजाजत दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब हाईकोर्ट इस मामले को देख सकता है तो सीधा सुप्रीम कोर्ट आना क्षेत्राधिकार का हनन है.
छपरा में जहरीली शराब पीने से 73 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि सरकारी आंकड़ा 40 है. सारण के मशरक, मढ़ौरा, इसुआपुर और अमनौर प्रखंड में ही ये मौतें हुईं हैं. इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए तस्करी करने वाले 150 से ज्यादा धंधेबाजों को गिरफ्तार किया है. इस मामले के सामने आने के बाद पूरे बिहार में सियासी रूप से खलबली मची है. विपक्ष इस मामले में मुआवजे की मांग कर रहा है, जबकि सरकार लगातार कह रही है कि शराब का सेवन गैरकानूनी है और गैरकानूनी काम करते हुए हुई मौत पर कोई मुआवजे का प्रवधान नहीं है.
इस मामले में पुलिस भी लगातार कार्रवाई कर रही है. पिछले दिनों ही इस मामले में होम्योपैथिक दवा से शराब बनाने वाले मास्टरमाइंड को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है. इस मास्टरमाइंड का नाम राम बाबू है, उसकी उम्र 35 वर्ष बतायी जा रही है. आरोपी ने शराब में केमिकल डालकर उसे तैयार किया था, जिसे पीने की वजह से कई लोगों की जान चली गयी थी. इसके अलावा मिलावटी शराब का मुख्य आपूर्तिकर्ता गिरफ्तार भी कर लिया गया है. मुख्य आपूर्तिकर्ता संजीव कुमार को वाराणसी से गिरफ्तार करने के बाद, इस घटना में अबतक 16 अभियुक्तों की गिरफ्तारी हो चुकी है.