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बिहार में जाति गणना पर फिलहाल रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, अगली सुनवाई 28 को

न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश एसवीएन भट्टी की खंडपीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के जाति गणना के भावी परिणामों पर जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय देने की मांग को स्वीकार कर लिया.

रिपोर्ट : नई दिल्ली ब्यूरो

नई दिल्ली. बिहार में जाति गणना पर रोक लगाने की मांग को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता जब तक यह साबित नहीं कर देते हैं कि जाति गणना कराना गलत है, तब तक बिहार सरकार के सर्वे कराने के फैसले पर रोक नहीं लगायी जायेगी. न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश एसवीएन भट्टी की खंडपीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के जाति गणना के भावी परिणामों पर जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय देने की मांग को स्वीकार कर लिया. पीठ के समक्ष मेहता ने जातिगत सर्वे के संभावित खतरे को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इसके कुछ संभावित असर हो सकते हैं. हालांकि उन्होंने संभावित असर को लेकर विस्तार से नहीं बताया.

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पूरा हो चुका है डाटा इकट्ठा करने का काम

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा कि वह बिहार सरकार को जाति गणना के आंकड़े जारी करने से रोके. पीठ ने कहा कि जाति गणना को लेकर डाटा इकट्ठा करने का काम पूरा हो चुका है और अब इसके विश्लेषण का काम बाकी है और यह काफी चुनौतीपूर्ण काम है. पीठ ने कहा कि बिहार सरकार पहले ही कह चुकी है कि जमा हो चुके डाटा का प्रकाशन नहीं किया जायेगा. रोहतगी की रोक लगाने की मांग पर पीठ ने कहा कि पहले यह बताना है कि सर्वे प्रथम दृष्यता सही नहीं है, तभी बिहार सरकार के आदेश पर रोक लग सकती है.

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28 अगस्त को होगी अगली सुनवाई

बिहार सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने पटना हाईकोर्ट के आदेश पर किसी तरह की रोक नहीं लगाने की मांग की. सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद पीठ ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी. गौरतलब है कि पिछली सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा था कि जातिगत सर्वे कराने से क्या नुकसान है. साथ ही बिहार सरकार ने अदालत के समक्ष कहा था कि वह व्यक्तिगत डाटा जारी नहीं करेगी और सिर्फ सामूहिक डाटा जारी किया जायेगा.

पटना हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका

1 अगस्त को पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं को खारिज कर दिया था. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सरकार चाहे तो गणना करा सकती है. पटना हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राज्य सरकार का यह काम नियम संगत है और पूरी तरह से वैध है. राज्य सरकार चाहे तो गणना करा सकती है. हाईकोर्ट ने बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण को ‘वैध’ करार दिया था. इसके तुरंत बाद नीतीश सरकार ने जाति गणना को लेकर आदेश जारी कर दिया था. पटना हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं.

18 अगस्त को हुई थी पिछली सुनवाई

पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई. इस याचिका पर पिछली सुनवाई 18 अगस्त को हुई थी. इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि बिहार में सर्वे का काम पूरा हो चुका है. आंकड़े भी ऑनलाइन अपलोड की जा रही है. इसके बाद याचिका करता के तरफ से जाति गणना का ब्योरा रिलीज नहीं करने की मांग की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को भी खारिज कर दिया था और मामले की सुनवाई 21 अगस्त तक टाल दी गई थी.

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