पटना. 15वीं बिहार विधानसभा के चार सदस्यों को पूर्व विधायक के तौर पर मिलने वाली सुविधाओं पर रोक लगाने के तत्कालीन स्पीकर के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, न्यायाधीश रविंद्र भट्ट और न्यायाधीश जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने विधायकों की याचिका पर बुधवार को अहम फैसला दिया. कोर्ट ने कहा कि मामला 15 वीं विधानसभा का है और अब 17वीं विधानसभा काम कर रही है. ऐसे में विधायकों को अयोग्य ठहराने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर विचार करना सही नहीं होगा.
विधानसभा अध्यक्ष का पूर्व विधायक की हैसियत को खत्म करने का आदेश उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है और ऐसे में इस आदेश को खारिज किया जाता है. याचिकाकर्ता के वकील समर सिंह का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इन चारों विधायकों को पूर्व विधायक के तौर पर मिलने वाली सभी तरह की सुविधाएं मिलेंगी.
15 वीं विधानसभा में जदयू के टिकट पर जीते चार विधायकों – ज्ञानेंद्र कुमार, रविंद्र राय, नीरज कुमार सिंह और राहुल कुमार की राज्यसभा चुनाव में पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ काम करने की जदयू के मुख्य सचेतक श्रवण कुमार की शिकायत पर तत्कालीन स्पीकर उदय नारायण चौधरी ने सदस्यता रद्द कर दी थी.
फैसले के खिलाफ चार विधायकों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और एकल पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर रोक लगा दी. इस फैसले के खिलाफ विधानसभा ने हाइकोर्ट के दो सदस्यीय पीठ के समक्ष चुनौती दी और एकल पीठ के फैसले पर रोक लग गयी. फिर चारों विधायक वर्ष 2015 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे.