सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि गंगा नदी के किनारे, खासकर पटना और उसके आसपास कोई और निर्माण कार्य न हो. साथ ही कोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया है कि वह 213 चिह्नित अवैध संरचनाओं को हटाने की प्रगति के बारे में उसे रिपोर्ट प्रस्तुत करे, जो कि पटना में गंगा नदी के बाढ़ क्षेत्र में बनायी गयी हैं. जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्जमसीह की खंडपीठ ने यह आदेश पटना निवासी अशोक कुमार सिन्हा की याचिका पर सुनवाई के दौरान दी. इस मामले की अगली सुनवाई अब पांच फरवरी को होगी. इससे पहले राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने अपने 30 जून, 2020 के आदेश में उनकी याचिका खारिज कर दी थी.
अशोक कुमार सिन्हा ने पर्यावरण की दृष्टि से नाजुक बाढ़ क्षेत्र पर अवैध निर्माण और स्थायी अतिक्रमण के खिलाफ कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचिका में दलील दी गयी थी कि एनजीटी ने पटना में गंगा के डूब क्षेत्र में अतिक्रमण करने वाले उल्लंघनकर्ताओं के विस्तृत विवरण की जांच किये बिना आदेश पारित किया. अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ के जरिये दायर याचिका में कहा गया था कि गंगा के डूब क्षेत्र में कॉलोनियों के अवैध निर्माण, ईंटों भट्टियां और अन्य संरचनाओं की स्थापना से भारी मात्रा में कचरा, शोर और सीवेज पैदा हो रहा है. साथ ही, अवैध निर्माण आसपास रहने वाले निवासियों के जीवन और संपत्ति के जोखिम को बढ़ा रहे हैं. हर साल क्षेत्र बाढ़ के पानी में डूब जाता है.
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अवैध निर्माण नदी के प्राकृतिक मार्ग को बाधित कर रहे हैं. यह उपमहाद्वीप में डॉल्फ़िन के सबसे समृद्ध आवासों में से भी एक है. याचिका में पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत गंगा नदी (पुनरुद्धार, संरक्षण और प्रबंधन) प्राधिकरण आदेश, 2016 का पूर्ण उल्लंघन का आरोप लगाया गया है. याचिका में कहा गया है कि राज्य एजेंसियां ऐसे अवैध निर्माणों और अतिक्रमणों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय उन्हें बिजली कनेक्शन प्रदान कर रही हैं.
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि खंडपीठ पश्चिम बंगाल और झारखंड में भी इस संबंध में क्या स्थिति है यह जानने की इच्छुक है. कोर्ट ने अतिरिक्ति महाधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी को निर्देश दिया कि अगली सुनवाई में कोर्ट के सामने इससे संबंधित तथ्य भी प्रस्तुत किये जायें.
पटना में लगभग 17.5 किमी लंबे पटना प्रोटेक्शन वॉल के पार गंगा की गोद में दर्जनों निर्माण किये गये हैं. कुर्जी के पास वर्षों से अपार्टमेंट के कई टावर खड़े हैं. जिन पर नगर निगम की ओर से रोक लगायी गयी है. इसके अलावा मैनपुरा सहित कई वार्डके सैकड़ों घर हैं. हर वर्ष बारिश के समय यहां जलजमाव की स्थिति आती है. बड़ी बात यह है कि नगर निगम की ओर से इन घरों पर होल्डिंग टैक्स आदिनिर्धारण भी किया गया ह
अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ के माध्यम से दायर विशेष अनुमति याचिका में कहा गया है कि पटना में नौजर घाट से नूरपुर घाट तक फैले पारिस्थितिकी के लिहाज से संवेदनशील गंगा बाढ़ के विशाल 520 एकड़ से अधिक क्षेत्र को हड़प लिया गया है. इसमें कहा गया है कि स्वच्छ गंगा महत्वपूर्ण और आवश्यक है. पटना की 55 लाख आबादी को पेयजल और घरेलू पानी की जरूरत है. एडवोकेट आकाश वशिष्ठ ने कोर्ट से कहा कि प्राथमिक चिंता यह है कि सबसे अधिक प्रभावित और क्षतिग्रस्त क्षेत्रों का सर्वेक्षण नहीं किया गया है. पटना का लगभग पूरा भूजल आर्सेनिक के कारण दूषित हो चुका है, जो अत्यधिक कैंसरकारी तत्व है. पटना शहर में पेयजल की आपूर्ति पूरी तरह गंगा नदी के पानी पर निर्भर है.