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यूट्यूबर मनीष कश्यप को सुप्रीम कोर्ट से झटका, बिहार और तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी

तमिलनाडु में कथित तौर पर बिहारी मजदूरों की पिटाई का फर्जी वीडियो शेयर करने के मामले में आरोपी यूट्यूबर मनीष कश्यप को मंगलवार (11 मार्च) को भी सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली. कोर्ट ने इस मामले में किसी प्रकार की राहत देने से तत्काल इनकार कर दिया.

पटना. तमिलनाडु में कथित तौर पर बिहारी मजदूरों की पिटाई का फर्जी वीडियो शेयर करने के मामले में आरोपी यूट्यूबर मनीष कश्यप को मंगलवार (11 मार्च) को भी सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली. कोर्ट ने इस मामले में किसी प्रकार की राहत देने से तत्काल इनकार कर दिया. कोर्ट ने मनीष कश्यप के खिलाफ कठोर कार्रवाई को रोकने से भी इनकार कर दिया है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कठोर कार्रवाई रोकने का आदेश नहीं दिया जा सकता है. हालांकि दोनों राज्यों में कश्यप के खिलाफ दर्ज केस को क्लब करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार और तमिलनाडु पुलिस को नोटिस जारी किया है. 21 अप्रैल को इस मामले पर अगली सुनवाई होगी. मनीष का केस जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस संजय करोल की पीठ कोर्ट नंबर 13 में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था.

सोमवार को नहीं हो पायी थी सुनवाई

इस संबंध में मनीष कश्यप के वकील डॉ. एपी सिंह ने कहा कि मनीष कश्यप मामले की सुनवाई के लिए 10 अप्रैल की तारीख मिली थी. उनका केस नंबर 63 था, लेकिन भोजनावकाश तक 43 मामलों की ही सुनवाई हो पाई. यानी उनके केस का नंबर नहीं आया और लंच के बाद इस मामले की सुनवाई करने वाले दोनों जज किसी अन्य मामले की सुनवाई के लिए किसी और कोर्ट में चले गये. लिहाजा, मनीष के मामले में सोमवार को सुनवाई नहीं हो पाई. अब उनका केस फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होने के बाद अगली तारीख पर होगी.


इससे पहले भी नहीं मिली थी राहत

कश्यप की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पिछले गुरुवार को याचिका दायर दी गई थी. इस मामले को चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने उठाया गया था. इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने अंतरिम राहत के लिए अदालत से अपील की थी. इसके साथ ही कश्यप के वकील ने कोर्ट से मांग की थी कि इस प्रकरण में उनके खिलाफ दर्ज सभी मामलों को एक जगह क्लब कर दिया जाये और कश्यप के खिलाफ एनएसए भी हटा दिया जाये, जिसका तमिलनाडु राज्य की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े और अमित आनंद तिवारी ने विरोध किया था. हेगड़े ने कहा कि कश्यप न्यायिक आदेश से हिरासत में हैं और यह अवैध हिरासत का मामला नहीं है. इस पर पीठ ने कहा था अगर वह हिरासत में है, तो हम अंतरिम राहत कैसे दे सकते हैं.

इस गुनाह में नपे कश्यप

यूट्यूबर को तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों पर कथित हमले का फर्जी वीडियो बनाकर उसके प्रसार करने और दो राज्यों के बीच नफरत बढ़ाने की साजिश रचने का आरोप है. इसी मामले में केस दर्ज होने के बाद मनीष ने 18 मार्च को बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के जगदीशपुर ओपी में सरेंडर किया था. इसके बाद 29 मार्च को तमिलनाडु पुलिस उसे अपने साथ ले गई. तमिलनाडु पुलिस ने मनीष कश्यप के खिलाफ एनएसए लगा दिया है, जिसकी वजह से फिलहाल उसकी गिरफ्तारी आसान नजर नहीं आ रही है. इस वक्त वह 19 अप्रैल तक के लिए न्यायिक हिरासत में है.

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