मोकामा विधानसभा उपचुनाव (Mokama By Election) के दिन करीब आने के साथ ही यहां का मुकाबला भी रोचक होता जा रहा है. राजनीति के दिग्गज नेता के मैदान में उतरने से पहले बाहुबलियों ने मैदान पर मोर्चा संभाल लिया है. हालांकि जो सूचना है उसके अनुसार दीपावली के बाद आरजेडी, जदयू और बीजेपी के सीनियर नेता भी इस लड़ाई में कूदेंगे. लेकिन, इससे पहले बाहुबलियों ने एक दूसरे पर वार करना शुरु कर दिया है. जातीय समीकरण की बात करें तो यहां भूमिहार के बाद ही अन्य दूसरी जातियां ताकत रखती हैं. भूमिहार के बाद कुर्मी, यादव और पासवान वोटर्स हैं .लेकिन सवर्ण वोटर्स यानी भूमिहार जिसको वोट करेंगे जीत उसी की तय होगी. यहां अकेले भूमिहार ही करीब 80 से 85 हजार वोटर हैं .कुर्मी और धानुक मिला कर 40 हजार, यादव 25 हजार, दलित 52 हजार और मुस्लिम आठ से दस हजार हैं.
बाहुबलियों का गढ़ कहा जाने वाला मोकामा शुरू से ऐसा नहीं था. कभी औद्योगिक क्षेत्र के रुप में इसको जाना जाता था. यहां पर बड़ी बड़ी फैक्ट्रियां हुआ करती थी.लेकिन 90 के दशक के बाद मोकामा की फैक्ट्रियां बंद होती गईं और लोग मोस्ट वांटेड बनते गए .फैक्ट्रियों की चिमनी से धुआं निकलने के बदले यहां रहने वाले लोगों को एके-47 और एक के 56 से निकलने वाली गोलियों की तड़ तड़ाहट की आवाज सुनायी पड़ने लगी.तब से मोकामा उपचुनाव में बाहुबलियों की धमक बढ़ने लगी. बहरहाल अनंत सिंह की विधानसभा की सदस्यता समाप्त होने के बाद एक बार फिर मोकामा में चुनाव हो रहा है. चुनाव में जीत के लिए हर कोई हर दिन अपने अपने स्तर से चुनाव प्रचार भी कर रहे हैं. लेकिन, इस चुनाव प्रचार में बाहबुली नेता सूरज भान सिंह के इंट्री के बाद चुनाव रोचक हो गया था.
सूरज भान सिंह के भाई की पत्नी यहां से चुनाव लड़ रही हैं. इधर, अनंत सिंह के एक जमाने में खून के प्यासे विवेका पहलवान उनके पक्ष में चुनाव प्रचार में उतर गए हैं. इसके बाद तो मोकामा की जीत हार का हर दिन यहां चौक चौराहों गुणा भाग का दौर शुरू हो गया है.