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गंडक और पुनपुन नदी में उफान, वाल्मीकिनगर बराज का छोड़ा गया एक लाख 63 हजार क्यूसेक पानी

बुधवार की दोपहर तीन बजे तक गंडक बराज से लगभग एक लाख 63 हजार क्यूसेक पानी गंडक नदी में छोड़ा गया. जिससे तटवर्ती वन क्षेत्र समेत पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के समीपवर्ती क्षेत्रों में पानी का जमाव शुरू हो गया है.

वाल्मीकिनगर. भारत नेपाल सीमा के जल अधिग्रहण वाले क्षेत्रों में रविवार से शुरू हुई लगातार बारिश के कारण गंडक बराज का जलस्तर फिर तटवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को डराने लगा है. बाढ़ का पानी गांव में घुसने की संभावना से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. वही बुधवार की दोपहर तीन बजे तक गंडक बराज से लगभग एक लाख 63 हजार क्यूसेक पानी गंडक नदी में छोड़ा गया. जिससे तटवर्ती वन क्षेत्र समेत पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के समीपवर्ती क्षेत्रों में पानी का जमाव शुरू हो गया है. गंडक बराज के पानी का कुल जल स्तर एक लाख 63 हजार दर्ज किया गया. जिससे ग्रामीणों की परेशानियां बढ़ चली है. वही झंडु टोला गांव और एसएसबी कैंप परिसर में जलस्तर में आंशिक वृद्धि होते ही पानी प्रवेश कर जाएगा. गंडक बराज के अधिकारियों की मानें तो नेपाल में हो रहे लगातार रुक रुक कर बारिश से तराई और पहाड़ी क्षेत्रों में जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है.

मंगलवार से लगातार बढ़ने के क्रम में है गंडक बराज का जलस्तर

नेपाल से छूटे पानी के कारण गंडक बराज का जलस्तर मंगलवार से लगातार बढ़ने के क्रम में है. नेपाल के नारायण घाट से छूटे पानी का प्रवाह गंडक बराज के रास्ते प्रवाहित होने के कारण निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए खतरा बन गया है. अनजाने भय और आशंका से लोग ग्रसित हो गए हैं. सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता रज्जन शमीम ने बताया कि नेपाल के तराई और पहाड़ी क्षेत्रों में रुक रुक कर लगातार बारिश हो रही है. नारायण घाट से छूटे पानी को गंडक बराज तक आने में लगभग छह से आठ घंटे का समय लगता है. नेपाल में हो रही बारिश को देखते हुए गंडक बराज के जलस्तर के बढ़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि बुधवार की रात तक गंडक बराज का जलस्तर दो लाख 50 हजार के पार चला जाएगा. गंडक बराज के सभी कर्मियों को अलर्ट पर रखा गया है.

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पुनपुन नदी में जलस्तर बढ़ने से कई गांव में घुसा नदी का पानी

औरंगाबाद जिले के ओबरा प्रखंड में पिछले चार दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश से ग्रामीण इलाकों में परेशानी बढ़ गयी है. पुनपुन नदी उफान पर है. कई गांवों में पुनपुन का पानी प्रवेश कर चुका है. किसानों को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है. मुख्यालय स्थित कोराईपुर पुनपुन नदी घाट से गुजरने वाले कई गांव के लोगों का आवागमन भी बाधित है. कोराइपुर, अमीलौना, उसरूमभा, मेदान कैथी, कझवां सहित कई गांव के लोगों का आवागमन नदी की तूफान की वजह से बाधित है. ज्ञात हो कि नदी का जलस्तर कम होने से उक्त क्षेत्र के लोगों का नाव के सहारे ओबरा बाजार आवागमन होता था. लेकिन, अभी बाधित हो गया है. खासकर स्कूली बच्चे बेहद प्रभावित है. वे स्कूल नहीं जा पा रहे है.

नदी में नाव का परिचालन भी बंद

बढ़ते जलस्तर को देखते हुए नदी में नाव का परिचालन भी बंद कर दिया गया है. दोमुहान का जल स्तर भी काफी बढ़ गया है. नदी के तराई वाले इलाके के किसानों का फसल डूब चुका है. ग्रामीण मनोज तिवारी, पैक्स अध्यक्ष गौरीशंकर यादव, मिथिलेश सिंह, मुखिया डॉ तारकेश्वर कुमार, कुमुद रंजन, परीखा यादव सहित अन्य लोगों का कहना है कि पुनपुन नदी में तेज तूफान के कारण ओबरा बाजार आने में लोगों को काफी परेशानी हो रही है. कोराइपुर गांव से खरांटी होते हुए मुख मार्ग पड़कर लगभग आठ किलोमीटर की दूरी तय करते हुए ओबरा बाजार जाना पड़ रहा है. ओबरा छठ घाट यानी कोराइपूर गांव के सामने नदी में पुल निर्माण को लेकर काराकाट लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद उपेंद्र कुशवाहा व वर्तमान सांसद महाबली सिंह का ध्यान आकृष्ट कराया गया था. आश्वासन भी दिया गया था. लेकिन, अब तक कुछ भी नहीं हुआ. आगामी चुनाव में संबंधित गांवों के ग्रामीण पुल निर्माण होने के बाद ही जनप्रतिनिधियों को सहयोग करेंगे.

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