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बिहार में 2024 तक पूरा होगा टोपोलैंड भूमि का सर्वेक्षण, उच्चस्तरीय समिति का किया गया गठन

आलोक मेहता ने बताया कि राज्य की असर्वेक्षित भूमि और टोपोलैंड को लेकर महाधिवक्ता से राय ली गयी. इसमें कहा गया है कि टोपोलैंड की भूमि सरकार की जमीन है. कैडेस्ट्रल सर्वे और रिविजनल सर्वे में सर्वेक्षण अधूरा और छूटा हुआ है. ऐसी भूमि से लगान का भी अभाव है.

पटना. बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने बताया कि बिहार में टोपोलैंड की जमीन का सर्वेक्षण का काम 2024 तक पूरा कर लिया जायेगा. उन्होंने बताया कि टोपोलैंड के सर्वेक्षण की नीति निर्धारण को लेकर उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है. समिति द्वारा भू -सर्वेक्षण के लिए कार्रवाई का निर्देश दिया गया है.

टोपोलैंड की भूमि सरकार की जमीन है

आलोक मेहता ने बताया कि राज्य की असर्वेक्षित भूमि और टोपोलैंड को लेकर महाधिवक्ता से राय ली गयी. इसमें कहा गया है कि टोपोलैंड की भूमि सरकार की जमीन है. कैडेस्ट्रल सर्वे और रिविजनल सर्वे में सर्वेक्षण अधूरा और छूटा हुआ है. ऐसी भूमि से लगान का भी अभाव है. इस प्रकार की जमीन का रजिस्ट्रेशन ऑल इंडिया स्तर पर होता है, जबकि म्यूटेशन का काम राज्य सरकार करती है.

टोपोलैंड की भूमि का रसीद काटना अवैध

राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार आने वाले दिनों में कुछ निर्णय लेगी जिससे लोगों को परेशानी न हो साथ ही नियम का भी पालन हो. अगर कहीं टोपोलैंड की भूमि का रसीद कटती है ,तो यह अवैध है. डाॅ रामानुज प्रसाद ने पूछा था कि सारण जिले के सोनपुर सहित राज्य में टोपोलैंड की जमीन का रजिस्ट्रेशन एवं म्यूटेशन (निबंधन एवं दाखिल- खारिज) टोपोलैंड के सर्वे के नाम पर रोक दिया गया था.

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इंदिरा आवास की दावेदारी वाले गरीब परेशान

दियारा इलाके के किसान, गरीब एवं छात्रों के साथ एससी-एसटी, इबीसी और सामान्य वर्ग के गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को इंदिरा आवास योजना एवं मुख्यमंत्री ग्रामीण विकास योजना के साथ जमीन के कागजात के आधार पर मिलने वाले अन्य प्रमाण पत्र से बहुत बड़ी आबादी वंचित रह जाती है. पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर निबंधन का काम तो शुरू हुआ है, जबकि म्यूटेशन का काम नहीं हो रहा है. इससे सात पंचायतों में ही 2772 इंदिरा आवास की दावेदारी वाले गरीब परेशान हो रहे हैं.

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