पटना. नये साल में कुल छह ग्रहण होंगे. इसमें तीन सूर्य ग्रहण व तीन चंद्रग्रहण होंगे. इसमें सबसे पहला ग्रहण वैशाख कृष्ण अमावस्या 20 अप्रैल को मेष राशि में खग्रास सूर्यग्रहण लग रहा है. यह सूर्यग्रहण प्रातः 07:05 बजे से दोपहर 12:29 बजे तक रहेगा. यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा व इसका धर्मशास्त्रीय प्रभाव भी नहीं पड़ेगा.
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि ज्योतिष गणना के अनुसार सूतक काल को अशुभ माना गया है. इस दौरान किसी भी प्रकार के शुभ कृत वर्जित होते हैं. सूर्य ग्रहण में 12 घंटे पहले से व चंद्रग्रहण में सूतक नौ घंटे पहले ही आरंभ हो जाता है और ग्रहण के खत्म होने के साथ इसका सूतक भी खत्म हो जाता है. सूतक काल में मंदिर में प्रवेश, श्रीविग्रह का स्पर्श, भोजन करना, यात्रा, गौदोहन, हलचालन, मूर्ति पूजा और मूर्तियों का स्पर्श, तुलसी के पौधे का स्पर्श वर्जित है. सूर्य को नग्न आंखों से न देखें. इसके अलावा बच्चे के जन्म और किसी की मृत्यु पर भी सूतक काल प्रभावी होता है.
पहला छाया चंद्रग्रहण – वैशाख शुक्ल पूर्णिमा पांच मई को प्रथम छाया चंद्रग्रहण लग रहा है. ज्योतिष शास्त्र में ऐसे चंद्रग्रहण को भूभाभा की संज्ञा दी गयी है. इस चंद्रग्रहण को भी भारतवर्ष में न तो देखा जायेगा और न ही इसका कोई असर होगा.
आश्विन कृष्ण अमावस्या 14 अक्टूबर को कंकणाकृत सूर्य ग्रहण लगेगा. यह सूर्यग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा और न ही इसका कोई असर होगा.
आश्विन शुक्ल पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) 28 अक्टूबर को अश्विनी नक्षत्र व मेष राशि में इस साल का दूसरा चंद्रग्रहण लगेगा. इस ग्रहण को भारत के साथ दुनिया के अन्य कई देशों में भी देखा जायेगा. यह ग्रहण शरद पूर्णिमा की देर रात 01:05 बजे शुरू होगा व रात 02 :23 बजे खत्म होगा. इस ग्रहण का मध्यकाल रात 01:44 बजे होगा.
फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 25 मार्च को तीसरा छाया या भूभाभा चंद्रग्रहण लग रहा है. इस ग्रहण को भी भारत में नहीं देखा जायेगा और न ही किसी प्रकार का धर्मशास्त्रीय महत्व होगा.
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चैत्र कृष्ण अमावस्या आठ अप्रैल 2024 को तीसरा खग्रास सूर्यग्रहण लगेगा. यह ग्रहण भारत में कहीं भी दिखाई नहीं देगा व इसका फलाफल भी लागू नहीं होगा. ग्रहण जहां दिखाई देता है, सूतक भी वहीं लगया है व धर्मशास्त्रीय मान्यताएं भी वहीं लागू होती हैं.