औरंगाबाद ने अपना 50 वर्ष पूरा कर लिया है. 50 वर्ष पहले यानी 26 जनवरी 1973 को गया जिले से कटकर औरंगाबाद नया जिला बना था. इसी दिन औरंगाबाद के साथ-साथ नवादा भी स्वतंत्र जिला बना था. पहले ये दोनों भू-भाग गया जिले के अनुमंडल हुआ करते थे. करीब 108 वर्षों तक गया जिले का अनुमंडल रहने के बाद औरंगाबाद को स्वतंत्र जिला का दर्जा प्राप्त हुआ. औरंगाबाद को जिला बनाने से संबंधित अधिसूचना तत्कालीन राज्यपाल देवकांत बरूआ ने बिहार गजट के माध्यम से जारी किया था. राज्यपाल ने अधिसूचना जारी कर औरंगाबाद को नया जिला घोषित किया था. कृष्ण अर्जुन हरिहर सुब्रमण्यम औरंगाबाद के पहले डीएम थे. इसके अलावा एसएसएम कौर पहले एसपी व जयपति सिन्हा पहले डिस्ट्रिक्ट जज थे. उस समय बिहार के मुख्यमंत्री केदार पांडेय थे.
औरंगाबाद की पहचान देश में सूर्य नगरी के रूप में है. यहां स्थित पश्चिमाविमुख सूर्य मंदिर अपनी अनोखी स्थापत्य कला और पौराणिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है. नौ लाख से पुराने इस मंदिर में हजारों हजार श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए आते है. यहीं महर्षी च्यवन ऋषि का आश्रम है. यहीं से च्यवनप्राश का अविष्कार हुआ था. महादेव की नगरी देवकुंड, उमंगा जैसे अनेकों धर्मस्थल यहां मौजूद है.
शिक्षाविद शिवनारायण सिंह की माने तो औरंगाबाद का नाम पहले नौरंगा हुआ करता था. बिहार में औरंगजेब के गवर्नर दाउद खां ने नौरंगा का नाम औरंगाबाद कर दिया था. इसके अलावे दाउदनगर का नाम पहले सिलौटा बखोरा था. जिसे दाउद खां ने अपने नाम पर दाउदनगर कर दिया था. वो बताते हैं कि इतिहास के पन्नों को पलटें तो औरंगाबाद शुरू से ही सामाजिक व किसान आंदोलन का गढ़ रहा है.
औरंगाबाद महापुरुषों की भूमि है. इसी धरती ने आजादी के बाद बिहार विभूति अनुग्रह नारायण सिंह के रूप में सूबे को पहला वित्त व उपमुख्यमंत्री दिया. इससे पहले अनुग्रह बाबू ने भारती की आजादी की लड़ाई में अपना अहम योगदान दिया था. वे चंपारण आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी से जुड़े और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में राजेंद्र प्रसाद के साथ मिलकर सक्रिय भूमिका निभायी थी. वे सदर प्रखंड के ही पोइवां गांव के रहने वाले थे. जिले का रेलवे स्टेशन अनुग्रह नारायण रोड, अनुग्रह इंटर कॉलेज, अनुग्रह मेमोरियल कॉलेज, अनुग्रह नारायण नगर भवन उन्हीं के नाम पर है. इसके साथ ही औरंगाबाद ने सत्येंद्र नारायण सिन्हा के रूप में बिहार को मुख्यमंत्री भी दिया. वे बिहार के कृषि मंत्री और वित्त मंत्री के साथ-साथ अनेकों बार सांसद रहे थे. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय समिति में एशिया का प्रतिनिधित्व किया था.
औरंगाबाद वीरो की जननी रही है. भारत छोड़ो आंदोलन में सचिवालय पर तिरंगा फहराने के दौरान अंग्रेज की गोलियों का शिकार होने वाले सात शहीदों में एक शहीद जगतपति कुमार औरंगाबाद के थे. वे जिले के ओबरा प्रखंड के खरांटी गांव के रहने वाले थे. देश के लिए उन्होंने सीने पर गोली खायी थी और आखिरकार सचिवालय के प्राचीर पर तिरंगा फहराकर ही अलविदा कहा था. अंग्रेजों के खिलाफ लड़े जाने वाले स्वतंत्रता संग्राम के पहले नायक राजा नारायण सिंह का जन्म इसी भूमि पर हुआ था. वह जिले के पवई रियासत के राजा थे. उन्होंने 1770 में अंग्रेजों के खिलाफ जंग ए आजादी का बिगुल फूंक दिया था. राजा साहब ने सोन नदी में हजारों अंग्रेजी सेनाओं को डूबो कर मार डाला था. इनके अलावा यही के श्याम बर्थवार ने आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी और अंडमान के सेलूलर जेल में काला पानी की सजा काटी थी. इसके अलावे बद्रीनारायण सिंह,रमेश कुमार सिंह ने आजादी की लड़ाई में अहम योगदान दिया था.
-
तीन हजार 389 वर्ग किलोमीटर में फैला है औरंगाबाद
-
औरंगाबाद 3389 वर्ग किलोमीटर में फैला है. जिला गठन होने के समय औरंगाबाद की जनसंख्या 10 लाख 15 हजार थी. जो वर्तमान में 25 लाख से अधिक हो चुकी है.
-
जाने जिले का विवरण
-
औरंगाबाद का क्षेत्रफल- 3389 वर्ग किलोमीटर
-
अनुमंडल-2 (औरंगाबाद और दाउदनगर)
-
प्रखंड – 11 (गोह, हसपुरा, दाउदनगर, ओबरा, औरंगाबाद, मदनपुर, देव, रफीगंज, कुटुंबा, नवीनगर, बारुण)
-
थाना – 32
-
गांव- 1884
-
जनसंख्या- 25 लाख 40 हजार 73 (2011 के जनगणना के अनुसार)
-
पुरुष जनसंख्या-13 लाख 18 हजार 684
-
महिला जनसंख्या-12 लाख 21 हजार 389
-
साक्षरता दर – 70.32
-
पुरुष साक्षरता दर- 80.11
-
महिला साक्षरता दर-59.71
-
लिंगानुपात-926/प्रति एक हजार
1973 में जब औरंगाबाद जिला बना उस वक्त काफी पिछड़ा हुआ था. आज तस्वीर बदल चुकी है. जिले में शिक्षा, स्वास्थ्य, संचार हर क्षेत्र में प्रगति की है. स्थापना काल में जहां 50 गांव से कम में बिजली पहुंची थी आज वो जगह बिहार का पावर हाउस बनकर उभरा है. यहां स्थित नवीनगर बिजली परियोजना राज्य की सबसे बड़ी परियोजना है. इसके अलावा नवीनगर में भी भारतीय रेल बिजली कंपनी यानी बीआरबीसीएल भी बड़े पैमाने पर बिजली का उत्पादन कर रही है. यहां सच्चिदानंद सिन्हा कॉलेज, रामलखन सिंह यादव कॉलेज, केंद्रीय विद्यालय, जवाहर नवोदय विद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज के अलावा ढाई हजार से अधिक शिक्षण संस्थान है.
Also Read: औरंगाबाद के मदनपुर का प्रसिद्ध बसंत पंचमी मेला शुरू, डीएम- एसपी ने किया उद्घाटन
-
1894-95-औरंगाबाद-देव-दाउदनगर में मिडिल स्कूल
-
1903-शाहपुर टीचर ट्रेनिंग कॉलेज
-
1914-शाहपुर धर्मशाला
-
1914-कोऑपरेटिव बैंक का भवन
-
1915 -औरंगाबाद मदरसा इस्लामिया
-
1918- पहला गर्ल्स स्कूल
-
1919-गेट स्कूल (अब अनुग्रह इंटर कॉलेज)
-
1926-सिन्हा सोशल क्लब
-
1929-दाउदनगर शिफ्टन हाई स्कूल (अब अशोका प्लस टू विद्यालय)
-
1936-अनुग्रह मिडिल स्कूल
-
1938-टाउन हाई स्कूल
-
1943-सच्चिदानंद सिन्हा कॉलेज (संस्थापक त्रिपुरारी बाबू)
-
1951-अनुग्रह कन्या उच्च विद्यालय