Loading election data...

Surya Gochar: सूर्य करेंगे मीन राशि में प्रवेश, वैवाहिक कार्यक्रम पर लगा विराम…

वर्ष में दो बार जब सूर्य धनु और मीन राशि में आते हैं तब खरमास लगता है. सूर्य किसी भी राशि में एक महीने रहते हैं. मीन राशि में प्रवेश के समय बृहस्पति का भी तेज कमजोर हो जाता है और गुरु के स्वभाव में उग्रता आ जाती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 14, 2023 6:04 PM
an image

सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने के साथ ही बुधवार से खरमास शुरू हो जायेगा. जिसके चलते एक माह तक मांगलिक कार्य नहीं होंगे. बुधवार को सूर्य देव प्रात: 06 बजकर 33 मिनट पर मीन राशि में प्रवेश करेंगे. इसे मीन संक्रांति कहते है. 14 अप्रैल की दोपहर 02:59 तक खरमास रहेगा. वहीं अप्रैल में गुरु के अस्त होने से मांगलिक कार्य नहीं होंगें. पंडित पुरुषोत्तम तिवारी ने बताया कि ग्रहों के राजा सूर्य जब-जब देवताओं के गुरु बृहस्पति की राशि धनु और मीन में गोचर करते हैं, तब-तब खरमास होता है. इसमें किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं. खरमास में पूजा-पाठ, पुण्य कार्य जैसे दान इत्यादि धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व बताया गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास में धार्मिक कार्य और पुण्य करने से समस्त कठिनाइयां समाप्त होती हैं और सुख-शांति की वृद्धि होती है.

वर्ष में दो बार जब सूर्य धनु और मीन राशि में आते हैं तब खरमास लगता है. सूर्य किसी भी राशि में एक महीने रहते हैं. मीन राशि में प्रवेश के समय बृहस्पति का भी तेज कमजोर हो जाता है और गुरु के स्वभाव में उग्रता आ जाती है. किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए त्रिबल की आवश्यकता होती है. त्रिबल अर्थात सूर्य, चंद्रमा व बृहस्पति का बल. जब तीनों ग्रह उत्तम स्थिति में रहते हैं, तभी शुभ कार्य किये जाते हैं. इनमें से यदि कोई भी क्षीण या निस्तेज हो तो शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं. मीन राशि के खरमास में वधू प्रवेश, वरवरण, कन्यावरण, फलदान, विवाह से संबंधित समस्त कार्य, मुंडन, गृहप्रवेश, गृहारंभ, प्रथम बार तीर्थ पर गमन आदि कार्य नहीं किये जाते हैं. इस खरमास में उपनयन संस्कार किये जा सकते है.

शहनाइयों के बजने के लिए करना होगा इंतजार

रंगोत्सव के बाद मंगलवाई तक ही वैवाहिक लग्न था. बुधवार से शहनाई की गूंज थम गयी. सनातन धर्म में खरमास को अशुभ समय के रूप में देखा जाता है, इसलिए इस अवधि में मांगलिक का कार्यों पर रोक लग जाती है. वहीं 14 अप्रैल के बाद गुरु अस्त हो रहे है. इसलिए करीब डेढ़ माह तक वैवाहिक कार्यक्रम पर रोक रहेगा. मई व जून माह में ही विवाह के शुभ मुहूर्त है. जून के बाद सीधे नवंबर में शहनाई बजेगी. देवशयनी एकादशी 29 जून गुरुवार को मनायी जायेगी. 30 जून से चतुर्मास प्रारंभ हो जायेंगे. जिसके कारण विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे. जून के बाद सीधे नवंबर में मांगलिक कार्य आरंभ होंगे. 23 नवंबर गुरुवार को देवोत्थान एकादशी तुलसी विवाह मनायी जायेगी. इस के साथ विवाह आदि मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जायेंगे.

विवाह के शुभ मुहूर्त

मई – 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 15,16, 20, 21, 26, 27, 28, 29, 30

जून- 1, 5, 6, 11, 12, 16, 22, 23, 25, 26, 28

नवंबर – 23, 24, 28, 29

दिसंबर – 3, 4, 5, 6, 7, 9, 13, 14, 15

Exit mobile version