पटना. पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने निकाय चुनाव ( Bihar Municipal Election ) को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सरकार अपनी गलतियाँ छिपाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाकर समय बर्बाद न करें. उन्हें इस मुद्दे पर एजी और राज्य निर्वाचन आयोग के पत्र सार्वजनिक करने चाहिए.
सुशील मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर निकाय चुनाव कराने के फैसला के कारण चुनाव पर रोक लगी और अतिपिछड़ों का दो साल बर्बाद हुआ. उम्मीदवारों के करोड़ों रुपये भी डूब गए. पिछड़ों को ट्रिपल टेस्ट के आधार पर आरक्षण देने के बाद ही निकाय चुनाव कराने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश केवल महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के लिए नहीं, बल्कि बिहार सहित पूरे देश के लिए लागू होता है.
इसके साथ ही राज्यसभा सांसद ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग और एजी (महाधिवक्ता) ने भी ट्रिपल टेस्ट के आधार पर आरक्षण देने के बाद निकाय चुनाव कराने की बात कही थी, लेकिन मुख्यमंत्री के दबाव में दोनों को अपना मंतव्य बदलना पड़ा. निकाय चुनाव में राजनीतिक आरक्षण देने के लिए सरकार अब बिना समय गँवाये विशेष आयोग बनाये और इस मुद्दे पर सारे पत्राचार सार्वजनिक करे, ताकि सच जनता के सामने आए.
बता दें कि पटना हाईकोर्ट (Patna high court) ने बिहार में होने वाली नगर निकाय चुनाव ( bihar municipal corporation elections) पर रोक लगा दी. कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि नियमों के मुताबिक तब तक स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती, जब तक सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन शर्तें पूरी नहीं कर ली जाती है. पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण के खिलाफ वाली याचिका पर मंगलवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य में अधिसूचित करने के बाद चुनाव कराए जाएंगे. राज्य निर्वाचन आयोग के फैसले पर कोर्ट ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर मतदान की तारीख आगे बढ़ाना चाहते हैं तो बढ़ा सकते हैं.