पटना. राज्यसभा के सदस्य सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर राजद और विधानसभा में विपक्ष के किये व्यवहार पर करारा प्रहरार किया है. उन्होंने कहा कि बिहार सशस्र पुलिस बल विधेयक के खिलाफ विपक्ष भ्रम फैलाने और सदन से सड़क तक हिंसा फैलाने की उसी स्क्रिप्ट पर काम कर है, जिस पर किसान आंदोलन को आक्रामक बना कर भारत की छवि बिगाड़ने की कोशिश की गयी थी.
जैसे कथित किसान नेताओं की मंशा 26 जनवरी को तय रूट को तोड़ते हुए ट्रैक्टर रैली निकाल कर पुलिस को गोली चलाने पर मजबूर करने की थी. उसी तरह राजद की मंशा सड़क पर गोली चलवाने और सदन के भीतर मार्शल बुलाने को मजबूर करने की थी. लालू प्रसाद के पोस्टर दिखा कर उनके दोनों पुत्र क्या भीड़ को उकसा कर पटना में गोली चलाने की नौबत लाना चाहते थे. हिंसा भड़काने पूरी साजिश थी इसलिए दोनों राजकुमार खुद हेलमेट पहन कर आये थे.
सांसद ने कहा कि जिन लोगों ने लोकतंत्र के मंदिर को अपने सामूहिक हिंसात्मक आचरण और अपशब्दों से अपवित्र किया. वे बिहार की जनता से क्षमा मांगने के बजाय स्पीकर और सरकार पर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं. बिहार में राजद और कांग्रेस उन नक्सली-वामपंथी ताकतों की गोद में बैठे हैं, तो बंदूक के बल पर सत्ता पाना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि तेजस्वी प्रसाद यादव ने यदि लोहिया को पढ़ा होता, तो वे सदन में बहस करने के योग्य होते और उनके विधायकों को भी सदन की मर्यादा का ध्यान रहता. जो आज लोहिया की वाणी को रट्टू तोते की तरह बोल रहे हैं. वे बताये कि क्या लोहिया ने कभी बेनामी सम्पत्तियां बनाने को भी जायज ठहराया था क्या. क्या लालू परिवार का भ्रष्टाचार ही लोहिया का समाजवाद है.
Posted by: Radheshyam Kushwaha