स्वच्छ सर्वेक्षण 2023: फिर पिछड़ेगा मुजफ्फरपुर, इस गलती से बिगड़ा शहर का हाल, आप भी पड़ेगा असर

स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 नगर निगम के लिए चैलेंजिंग होने वाला है. इस बार प्रतियोगिता 7500 की बजाय 9500 अंकों का होगा, जो पिछली बार से दो हजार अंक ज्यादा है. इसमें अलग-अलग पैरामीटर पर निगम को नंबर मिलेंगे. सर्वेक्षण में अच्छी रैंकिंग पाने के लिए सिटी को गार्बेज फ्री होना जरूरी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 10, 2022 2:15 AM

स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 नगर निगम के लिए चैलेंजिंग होने वाला है. इस बार प्रतियोगिता 7500 की बजाय 9500 अंकों का होगा, जो पिछली बार से दो हजार अंक ज्यादा है. इसमें अलग-अलग पैरामीटर पर निगम को नंबर मिलेंगे. सर्वेक्षण में अच्छी रैंकिंग पाने के लिए सिटी को गार्बेज फ्री होना जरूरी है. लेकिन, शहर में ओपन नाला, कूड़ा का सही से उठाव नहीं होना एवं कॉमर्शियल एरिया में दिनभर कूड़ा सड़क पर पड़ा रहना रैंकिंग को बिगाड़ सकता है.

बेतरतीब निर्माण के कारण खोदे गये गड्ढे

स्मार्ट सिटी का चल रहे बेतरतीब निर्माण के कारण खोदे गये गड्ढे व 24 घंटे सड़कों पर उड़ती धूल सबसे ज्यादा असर डालेगा, जिसे ठीक करना निगम के लिए बड़ी चुनौतीपूर्ण कार्य है. धूल के कारण शहर के वायु प्रदूषण का स्तर भी तेजी से बढ़ रहा है. यही नहीं, कचरा प्रबंधन की भी व्यवस्था पिछले साल की तुलना में चरमरा गयी है. गीला व सूखा कचरा को अलग कर कंपनीबाग व सिकंदरपुर कंपोस्ट पीट पर तैयार होने वाला जैविक खाद की प्रक्रिया भी ठप है. सरकारी दफ्तरों में जो रेड स्पॉट (पान-गुटखा का पीक) है. यह भी शहर की रैंकिंग को बिगाड़ेगा. स्कूल, कॉलेज के गेट पर ही पान, सिगरेट व तंबाकू के दुकान खुले हैं. सार्वजनिक स्थलों पर शौचालय व यूरीनल की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. यह सभी प्वाइंट्स स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर तय होने वाले रैंकिंग में बड़ा बखेड़ा खड़ा कर सकता है.

इन तीन बिंदुओं पर रहेगी सबसे ज्यादा नजर

सर्विस लेवल प्रोग्रेस : सेग्रिगेशन (डोर-टू-डोर) कलेक्शन, यूज होने वाला वाटर का डिस्पोजल, सफाई मित्र आदि शामिल है. अगर 85 प्रतिशत सब कुछ सही मिला तो सीधे 600 अंक मिल जाएंगे. इसमें नाइट स्वीपिंग, शौचालयों का देखरेख आदि शामिल है. सेग्रिगेशन में नाले, स्टॉर्म वाटर लाइन आदि की साफ-सफाई शामिल है. इसकी व्यवस्था अभी मुजफ्फरपुर नगर निगम में ठीक नहीं है.

सिटीजन वाइस : इसमें लोगों से फीडबैक लिया जाता है. सर्वे को आने वाली टीम वार्ड स्तर पर लोगों से बातचीत कर जानकारी लेती है. इसमें वार्ड रैंकिंग में 320 अंक मिलते है, जिसमें एक वार्ड से अधिक वार्डों को मॉडल बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इसमें यह भी पता किया जाएगा कि वार्डों में गीला कूड़ा व सूखा कूड़ा सही से अलग किया जा रहा है या नहीं. गीला व सूखा कूड़ा सही से निस्तारण करने पर 150 अंक मिल जाएंगे. इस बार पिछले साल की तुलना में इसकी व्यवस्था गड़बड़ है.

सर्टिफिकेशन : इसमें शहर के शौचालयों की स्थिति पर निर्भर करता है, जिसमें ओडीएफ प्लस का सर्टिफिकेट मिला हुआ. लेकिन, उस तरीके की व्यवस्था शहर में है नहीं. अगर 31 दिसंबर तक इसमें सुधार नहीं हुआ तो सीधा 725 अंक का नुकसान होगा. 2020, 21 और 2022 में भी इसमें काफी खराब परफॉर्मेंस रहा है.

छह तरह से दे सकते हैं सिटीजन फीडबैक

सिटीजन फीडबैक छह तरह से दर्ज किया जा सकता है. 15 दिसंबर से इसकी शुरुआत होने वाली है. इसमें माय गवर्नमेंट की वेबसाइट, वोट फार योर सिटी, 1969 हेल्पलाइन, क्यूआर कोड को स्कैन कर, स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 पोर्टल और स्वच्छता एप पर भी फीडबैक दर्ज कराया जा सकता है. नगर निगम द्वारा इन छह तरीकों से फीडबैक प्राप्त करने की तैयारी की जा रही है. मुजफ्फरपुर नगर निगम के नगर आयुक्त नवीन कुमार ने कहा कि स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 को लेकर जो भी कार्य करने होंगे, उसे बेहतर तरीके से किया जायेगा. इसके लिए एक सेल पहले से गठित है, जो कार्य कर रहा है. स्वच्छ सर्वेक्षण के मद्देनजर ही सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लगभग साढ़े सात सौ सफाई मित्रों को रूट चार्ट तय कर उनकी ड्यूटी की जिम्मेदारी सौंपी गयी है.

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