Swine Flu Causes: पटना सहित पूरे बिहार में अब स्वाइन फ्लू (एच1एन1) ने तेजी से पैर पसराना शुरू कर दिया है. 10 दिनों में स्वाइन फ्लू के 10 मरीज मिल चुके हैं. मंगलवार को एक साथ सात मरीज स्वाइन फ्लू के मिले हैं. इसके अलावा राजधानी में कोरोना के भी दो मरीज मिले हैं.
स्वाइन फ्लू के संक्रमित मरीजों में आठ माह का बच्चा और 85 वर्ष के वृद्ध भी हैं. सबसे अधिक पांच मरीज पटना जिले के हैं, जिनमें बख्तियारपुर के 85 वर्षीय वृद्ध, फतुहा के 46 वर्षीय पुरुष व 17 वर्षीया किशोरी, अशोक नगर के 50 वर्षीय पुरुष व संपतचक की 19 वर्षीया महिला शामिल हैं. इसके अलावा नालंदा का आठ माह का बच्चा और बक्सर के 36 वर्षीय युवक स्वाइन फ्लू से संक्रमित पाये गये हैं.
इस सीजन में 24 घंटे में सबसे अधिक मरीज मंगलवार को ही मिले हैं. इससे पहले सबसे अधिक दो मरीज सर्वाधिक मिले थे. जिन सात मरीजों में एच1एन1 वायरस की पुष्टि हुई है, इनमें आठ माह की एक बच्ची शामिल है, जो नालंदा जिले के हैं.
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इसके अलावा फतुहा के 85 साल के बुजुर्ग भी हैं. इधर 24 घंटे के अंदर पटना में दो और मरीजों में कोरोना की पुष्टि हुई है. इसमें एक मरीज का इलाज शहर के एक निजी अस्पताल में चल रहा है जबकि दूसरा मरीज इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान का है.
मौसम बदलते ही टायफाइड के मरीजों में इजाफा होने लगा है. अस्पतालों में रोजाना बीमारी से पीड़ित मरीज इलाज कराने आ रहे हैं. अस्पतालों की इमरजेंसी में भर्ती होने वाले अधिकतर मरीज इससे पीड़ित मिल रहे हैं या लिवर-किडनी में संक्रमण है. कई लोगों में प्लेटलेट भी कम मिल रहा है. बीते तीन दिनों में पटना शहर के आइजीआइएमएस, पीएमसीएच और गार्डिनर रोड अस्पताल मिलाकर टायफाइड के कुल 23 मरीज भर्ती हुए हैं. इनमें सबसे अधिक बच्चे व किशोर शामिल हैं, जिनकी उम्र तीन साल से 16 साल के बीच है. इसके अलावा कुछ युवक भी बीमारी की चपेट में आये हैं.
पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ आइएस ठाकुर ने बताया कि किसी भी तरह का संक्रमण लंबे समय तक बना रहने से मरीज बुखार की चपेट में जा रहे हैं. कई बीमारियों के साथ टायफाइड भी पॉजिटिव आ रहा है. इससे प्लेटलेट कम हो रहे हैं. निश्चित मात्रा में फ्लूड देने से मरीजों को राहत मिल रही है. हालांकि अगर डेंगू या मलेरिया पॉजिटिव है, तो बेहद एहतियात के साथ फ्लूड देना पड़ता है. उन्होंने बताया कि अगर तीन दिन बुखार सामान्य पैरासिटामॉल से नहीं उतरे, तो अस्पताल में आकर दिखाएं. बेहतर इलाज से मरीजों को आगे दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता है.
Published By: Thakur Shaktilochan