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बिहार विधानसभा में एक दलीय विपक्ष का तार किशोर बन सकते हैं नेता, तीन दशकों में नहीं आयी ऐसी परिस्थिति

विधानसभा के इतिहास में संभवत: पहली बार ऐसी नौबत आयी है , जब विपक्ष में सिर्फ एक ही पार्टी बैठेगी. बुधवार को बनने वाली नयी सरकार में राज्य की पांच पार्टियां साथ होगी. विपक्ष में एकमात्र 77 विधायकों वाली पार्टी भाजपा रह गयी है.

पटना. विधानसभा के इतिहास में संभवत: पहली बार ऐसी नौबत आयी है , जब विपक्ष में सिर्फ एक ही पार्टी बैठेगी. बुधवार को बनने वाली नयी सरकार में राज्य की पांच पार्टियां साथ होगी. विपक्ष में एकमात्र 77 विधायकों वाली पार्टी भाजपा रह गयी है. पूर्व उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद को विपक्ष का नेता बनाया जा सकता है.

तीन दशकों में नहीं आयी ऐसी परिस्थति 

242 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में भाजपा को छोड़ निर्वाचित बाकी सभी सदस्य सत्ताधारी दल के सदस्य होंगे. पिछले तीन दशकों में कभी ऐसी परिस्थितियां नहीं आयी, जब विपक्ष में एकमात्र पार्टी ही रही. 1990 में जब लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री बने, उस समय भी कांग्रेस के अलावा अन्य दल विपक्ष के अंग थे. डा जगन्नाथ मिश्र विपक्ष के नेता बने.

अकेले विपक्ष में कभी नहीं बैठी कोई पार्टी

1995 में भाजपा और समता पार्टी के सदस्य विपक्ष के सदस्य थे. कुछ दिनों के लिए यशवंत सिन्हा विपक्ष के नेता रहे. 2000 में भाजपा और वाम दलों के सदस्य विपक्ष के अंग रहे. सुशील कुमार मोदी पहली बार विपक्ष के नेता बनाये गये. वहीं 2005 में राजद, वाम दल और कांग्रेस विपक्ष में बैठी. पूर्व सीएम राबड़ी देवी विपक्ष की नेता बनीं.

जनादेश के साथ विश्वासघात हुआ

इस बीच तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि आज की घटना 2020 के आम चुनाव में प्राप्त जनादेश के साथ विश्वासघात और बिहार के मतदाताओं का अपमान है. बिहार को जंगलराज की ओर पुनः ढकेलने पर जनता निश्चित सबक सिखायेगी. इससे पूर्व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि जो कुछ भी हुआ , वह बिहार की जनता के साथ और भाजपा के साथ धोखा है. यह उस जनादेश का उल्लंघन है, जो जनता ने दिया था. बिहार की जनता इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगी.

जो कुछ भी हुआ है वह धोखा है

बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद सहित भाजपा कोटे के कई पूर्व मंत्रियों की उपस्थिति में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के तहत हम सभी ने चुनाव लड़ा था. जो बहुमत और जनादेश था, वह जदयू और भाजपा को जनता ने दिया था. हम 74 सीटें जीतने में कामयाब रहे, उसके बावजूद पीएम और गृह मंत्री अमित शाह ने जो वादा किया था, हमने उस वादे का पूर्णत: पालन करते हुए नीतीश कुमार को एनडीए गठबंधन का मुख्यमंत्री बनाया. जो कुछ भी आज हुआ है वह धोखा है.

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