पटना. बिहार में इस बार आयकर संग्रह की स्थिति पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में काफी बेहतर है. पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) के दौरान एक हजार 330 करोड़ रुपये का टैक्स संग्रह हुआ था, परंतु चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में दो हजार 592 करोड़ रुपये का आयकर संग्रह हुआ है. यह पिछली बार की तुलना में 80 फीसदी ज्यादा है.
पिछले वित्तीय वर्ष में आयकर संग्रह का निर्धारित लक्ष्य 13 हजार करोड़ रुपये रखा गया था, जिसमें 10 हजार करोड़ से ज्यादा टैक्स संग्रह ही हो पाया था, परंतु इस बार टैक्स संग्रह की स्थिति को देखते हुए इस बार के लिए निर्धारित लक्ष्य 14 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का टैक्स संग्रह होने की संभावना जतायी जा रही है.
अगर सिर्फ टीडीएस (टैक्स डीडक्सन एट सोर्स) संग्रह की बात की जाये, तो इसमें भी इस बार 39.57 प्रतिशत का ग्रोथ दर्ज किया गया है. बीते वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में एक हजार 545 करोड़ रुपये का आयकर संग्रह किया गया. वहीं, इस वर्ष अब तक दो हजार 157 करोड़ रुपये का आयकर जमा कर लिया गया है. इसमें भी इस बार संग्रह की स्थिति काफी बेहतर दर्ज की गयी है.
इस बार टैक्स जमा होने का मुख्य कारण लॉकडाउन बेहद कम दिनों तक के लिए रहना और टैक्स संग्रह के लिए विभाग के स्तर से बेहतर प्रयास करना शामिल है. हालांकि, आयकर विभाग ऐसे लोगों की सख्त स्कैनिंग करने में जुटा है, जिन्होंने इस बार पिछले कुछ वित्तीय वर्षों की तुलना में कम, बेहद कम या टैक्स ही नहीं दिया है. इस तरह से कम टैक्स देने वालों का पिछले चार से पांच साल का आयकर रिटर्न की समीक्षा की जा रही है, जिसके आधार पर सख्त कार्रवाई होगी.
इसके अलावा आयकर विभाग विशेषतौर पर वैसे लोगों की भी तलाश में जुटा हुआ है, जो आमदनी अच्छी होने के बाद भी आयकर रिटर्न दायर ही नहीं करते यानी टैक्स नहीं देते हैं. इसका मुख्य मकसद करदाताओं की संख्या को बढ़ाना है क्योंकि बिहार में आबादी के आधार पर आयकर का संग्रह नहीं हो रहा है.
जिस तेजी से राज्य का आर्थिक ग्रोथ हो रहा है, उस अनुपात में आयकर संग्रह नहीं हो रहा है. इस मसले का ध्यान रखते हुए विभाग तेजी से ऐसे लोगों का डाटा ऐनालेसिस कर रहा है. इसके आधार पर इन पर कार्रवाई की जायेगी. विभाग का मुख्य मकसद नये टैक्स पेयर्स को जोड़ना भी है.
Posted by Ashish Jha