बिहार में साढ़े छह साल में पकड़ी गयी 2294 करोड़ की टैक्स चोरी, सरकार के खजाने में जमा हुए 1248 करोड़

चालू वित्तीय वर्ष में वर्ष 2023-24 में पंजीकरण से जुड़े धोखाधड़ी की पहचान के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है. पिछले वित्तीय वर्ष में बिहार में कोचिंग संस्थानों के विरुद्ध विशेष अभियान चलाये गये थे.

By Prabhat Khabar News Desk | April 22, 2023 4:12 AM

जीएसटी के जुलाई 2017 में लागू होने के बाद से फरवरी-2023 तक यानी साढ़े छह साल के दौरान बिहार में 2294 करोड़ के कर चोरी का मामला सामने आया, लेकिन वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियों की सक्रियता से सरकारी खजाने में 1248 करोड़ जमा हुआ. बाकी के मामले अभी चल रहे हैं. विभाग ने कर चोरी पर लगाम लगाने के लिये विशेष अभियाना चलाया था, जिस कारण से कई मामले सामने आये. इसमें अधिकांश कर चोरी का मामला इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) से संबंधित में विशेष रूप से लोहा, सीमेंट और होजियरी कारोबार से जुड़े मामले थे.

धोखाधड़ी की पहचान के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्देश

चालू वित्तीय वर्ष में वर्ष 2023-24 में पंजीकरण से जुड़े धोखाधड़ी की पहचान के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है. पिछले वित्तीय वर्ष में बिहार में कोचिंग संस्थानों के विरुद्ध विशेष अभियान चलाये गये थे. वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2017 से फरवरी 2023 तक जीएसटी चोरी के 57111 मामले दर्ज किये गये हैं. देश में जीएसटी चोरी की सबसे अधिक राशि महाराष्ट्र में 60 हजार करोड़, दूसरे नंबर पर कर्नाटक में तकरीबन 40 हजार,गुजरात में 26 हजार करोड़ और दिल्ली में 24 हजार करोड़ में पायी गयी.

कर चोरी रोकने की पहल

कर चोरी रोकने के लिए सरकार ने इ-वे बिल का प्रावधान किया है.वहीं सरकार जीएसटी रिटर्न फाइलिंग प्रणाली के माध्यम से चोरी के खिलाफ कार्रवाई के लिए रिटर्न फाइल करने पर रोक लगा दी जाती है.जीएसटी में कर रिटर्न के आधार पर तय होता है,इसलिए यदि कोई करदाता जीएसटीआर-3बी (बिक्री, इनपुट टैक्स क्रेडिट और बिक्री दिखाने वाला सारांश रिटर्न) प्रस्तुत करने में विफल रहता है. जीएसटीआर-1 (मासिक / त्रैमासिक बिक्री रिटर्न) दाखिल करने पर रोक लगा दी जाती है, ताकि कर चोरी के लिहाज से आइटीसी का लाभ नहीं ले सके.

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क्या है मॉडस ऑफ ऑपरेंडी

तू डाल-डाल, मैं पात-पात वाली कहावत को चरितार्थ करने के लिए कर चोरी के लिहाज से बनायी गयी कंपनी, इ-वे बिल जेनरेट करने से बचने के लिए माल की आपूर्ति के बजाय सेवाओं के लिए गुजरात से बिहार में श्रम शक्ति की आपूर्ति दिखा देती है. एक ही परिसर से कई पंजीकरण व पंजीकरण के लिए प्रस्तुत नकली दस्तावेजों का प्रयोग किये जाते हैं.ये धोखाधड़ी के कुछ उदाहरण हैं , जो जीएसटी के तहत कर अधिकारियों के रडार पर आ गये हैं. वहीं, पंजीयन से जुड़ी धोखाधड़ी रोकने के लिए स्पॉट वेरिफिकेशन अनिवार्य कर दिया गया है.

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