पटना. फेस्टिवल सीजन शुरू हो गया है और हमारे यहां चली आ रही परंपरा के अनुसार हम अपने मित्रों और परिचितों से उपहार का लेन-देन कर अपनेपन का एहसास करते हैं. ऐसे में यह जान लेना आवश्यक है कि ऐसे गिफ्ट पर क्या हमें कर भी चुकाना पड़ सकता है.
इस संबंध में वरीय चार्टर्ड एकाउंटेंट राजेश खेतान ने बताया कि अगर कोई नियोक्ता अपने कर्मचारी को 50 हजार रुपये से अधिक का गिफ्ट देता है, तो नियोक्ता द्वारा वह जीएसटी के कानून में भी सप्लाइ माना जायेगा और उस पर नियोक्ता को जीएसटी भी देना होगा.
राजेश खेतान ने बताया कि अगर किसी को अपने दोस्तों से महंगे उपहार या कैश गिफ्ट में मिलते हैं, तो वैसी स्थिति में मिले हुए गिफ्ट पर आयकर चुकाना पड़ेगा. हालांकि, अगर मिले हुए कुल गिफ्ट का वास्तविक मूल्य पचास हजार रुपये से कम है, तो उस पर आयकर नहीं देना होगा.
यहां महंगे गिफ्ट का मतलब सोना, चांदी व अन्य जेवरात, बहुमूल्य संग्रह की जाने वाली वस्तु जैसे कि कलाकृति, पेंटिंग व अन्य कैश स्वरूप की वस्तुओं से है. साथ ही अगर कोई अचल संपत्ति भी गिफ्ट स्वरूप मिलती है तो उस पर भी आयकर देना होगा.
खेतान ने बताया कि अगर यह गिफ्ट अपने निकट रिश्तेदारों जैसे माता, पिता, पुत्र, पुत्री, भाई, बहन, मामा, मौसी, चाचा, बुआ या जीवनसाथी के भाई-बहन द्वारा मिलता है तो उसपर आयकर नहीं लगेगा. लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उपहार देने वाले ने गलत तरीके से अर्जित आय से वैसे महंगे गिफ्ट न दिये हों. अगर कोई कंपनी नियोक्ता अपने कर्मचारी को कोई गिफ्ट देता है, तो वह गैर रिश्तेदार की श्रेणी में आयेगा.
Posted by Ashish Jha