पूर्णिया के बाद अब कोसी प्रमंडल में शुरू होगी चाय की खेती, इस जिले के किसानों को अनुदान देगी सरकार
अब खेतों में मेड़ बनाकर उसमें मखाना लगाया जाएगा और वह किसानों के हित में होगा. जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि जिले भर में मक्का खेती को भी बढ़ावा दिया जाएगा. उसके अलावा तेलहन, दलहन सहित अन्य खेती के प्रति किसानों को और जागरूक बनाया जाएगा, जिसके लिए निर्देश दिया गया है.
सहरसा. बिहार के पूर्णिया प्रमंडल में चाय की खेती के सफल प्रयोग के बाद अब कोसी प्रमंडल में भी चाय की खेती शुरू की जा रही है. किशनगंज के बाद अब सुपौल जिले के सीमावर्ती इलाके सहित अन्य जगहों पर चाय की खेती शुरू हो रही है. इसके लिए किसानों को सरकार की ओर से सहायता भी दी जाएगी. चाय के साथ-साथ कोसी प्रमंडल में मखाना और मक्के की खेती को भी नया रूप देने के लिए कार्य योजना तैयार की जा रही. मक्के की खेती को भी बढ़ावा मिलेगा. बैठक की जानकारी देते जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि सुपौल जिला में चाय की खेती शुरू करने के लिए निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि किसानों को चाय की खेती करने पर अनुदान मिलेगा.
सरायगढ़ के कस्टम हेयरिंग का किया निरीक्षण
बिहार सरकार के कृषि सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने कोसी निरीक्षण भवन में विभागीय पदाधिकारी और कर्मियों के साथ बैठक में इस संबंध में जानकारी दी. वह किशनगंज जाने के क्रम में कुछ देर के लिए भपटियाही में रुके थे और इस दौरान सरायगढ़ के कस्टम हेयरिंग का निरीक्षण किया. कस्टम हेयरिंग में कृषि से संबंधित यंत्रों को रखकर किसानों को भाड़े पर उपलब्ध कराया जाता है, ताकि छोटे-छोटे किसान भी आसानी से खेती कर सकें.
मखाना की खेती को दिया जाएगा नया रूप
कोसी निरीक्षण भवन भपटियाही के प्रांगण में समीक्षा बैठक के दौरान जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि क्षेत्र में मखाना की खेती को नया रूप दिया जाएगा. अभी तक इसकी खेती से जुड़े किसान पोखर में मखाना लगाने का काम करते रहे हैं, लेकिन उसे मेड़ माडल दिया जाएगा. अब खेतों में मेड़ बनाकर उसमें मखाना लगाया जाएगा और वह किसानों के हित में होगा. जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि जिले भर में मक्का खेती को भी बढ़ावा दिया जाएगा. उसके अलावा तेलहन, दलहन सहित अन्य खेती के प्रति किसानों को और जागरूक बनाया जाएगा, जिसके लिए निर्देश दिया गया है.
चाय के लिए उपयुक्त जमीन पर करायी जाएगी खेती
उन्होंने बताया कि बैठक में कृषि सचिव ने कृषि के क्षेत्र में अधिक से अधिक प्रगति के लिए निर्देश दिए हैं. जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि चाय के लिए जो भी उपयुक्त जमीन है, उसकी जानकारी हासिल कर वहां के किसानों को उसकी खेती के लिए प्रेरित किया जाना है. इससे पूर्व वो सहरसा स्थित कस्टम हेयरिंग के निरीक्षण के दौरान कृषि सचिव ने ट्रैक्टर, रोटावेटर मशीन सहित अन्य को देखा और उसके उपयोग के बारे में जानकारी ली. निरीक्षण के दौरान कृषि सचिव ने जिला कृषि पदाधिकारी अमित कुमार से कस्टम हेयरिंग में उपलब्ध कृषि यंत्रों के बारे में पूछताछ की.