बिहार शिक्षक बहाली: 2012 में 1.68 लाख पदों पर निकली थी नियुक्ति, दूसरे राज्य के 3400 अभ्यर्थी ही हुए थे चयनित

बिहार में शिक्षक बहाली के लिए 2012 की नियमावली में भी शिक्षक पद के लिए बिहार के मूल निवासी से परे दूसरे राज्यों को भी आवेदन करने का अवसर था. उस समय शिक्षकों के लगभग 1.68 लाख पद रिक्त थे, जिसमें राज्य के बाहर के मात्र 3400 अभ्यर्थी ही चयनित हो सके थे.

By Prabhat Khabar News Desk | June 30, 2023 1:52 AM

बिहार के स्कूलों में विद्यालय अध्यापक पद की नियुक्ति प्रक्रिया में आवेदन करने की पात्रता में मूल निवासी के संदर्भ में बिहार के बाहर के लोगों को भी मौका दिया गया है. इसके समर्थन और विरोध में तर्क दिये जा रहे हैं. ऐसे परिदृश्य में शिक्षा विभाग ने विभिन्न माध्यमों से साफ किया किया है कि मूल निवासी के संदर्भ में लिये गये निर्णय से भ्रम की स्थिति नहीं होनी चाहिए.

2012 में शिक्षक नियुक्ति में बाहर के मात्र 3400 अभ्यर्थी हुए थे चयनित

शिक्षा विभाग के सूत्रों ने साफ किया है कि सरकार ने मूल निवासी के संदर्भ में लिये गये निर्णय के पीछे कुछ वैधानिक तकनीकी जरूरत थी. शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2012 की नियमावली में भी शिक्षक पद के लिए बिहार के मूल निवासी से परे दूसरे राज्यों को भी आवेदन करने का अवसर था. उस समय शिक्षकों के लगभग 1.68 लाख पद रिक्त थे, जिसमें राज्य के बाहर के मात्र 3400 अभ्यर्थी ही चयनित हो सके थे.

विज्ञापन के बाद दायर की गई कई रिट

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बिहार लोक सेवा आयोग की तरफ से विद्यालय अध्यापक पद के चयन के लिए विज्ञापन जारी करने के बाद कई रिट दायर की गयी हैं, जिनमें संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 16 के उल्लंघन का मुद्दा उठाया गया है. इसलिए सरकार की मंशा बिल्कुल साफ है कि दूसरे राज्य के अभ्यर्थियों के आवेदन करने से बिहार के मूल निवासी अभ्यर्थियों के अवसर कम नहीं होंगे.

Also Read: Transfer Posting Bihar : मद्यनिषेध विभाग में 139 पदाधिकारियों का तबादला, 144 कारा कर्मियों का भी स्थानांतरण
आवेदन करने में मूल निवासी की पात्रता को हटा दिया गया 

बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में विद्यालय अध्यापक नियुक्ति में अब देश के सभी अभ्यर्थियों को मौका देने का निर्णय लिया गया था. पहले बिहार में शिक्षक बनने के लिए राज्य के नागरिकों को ही अवसर मिलता था. कैबिनेट द्वारा लिए गए इस निर्णय के बाद से लगातार विरोध हो रहा है. इस फैसले का कई राजनीतिक पार्टियों के साथ ही शिक्षक संघों ने भी विरोध किया है. वहीं शिक्षा मंत्री ने कहा था कि डोमेसाइल नीति को इसलिए हटाया गया है, क्योंकि नियोजन के समय हम लोगों ने पाया कि मैथ, केमिस्ट्री, फिजिक्स और अंग्रेजी जैसे कुछ विषय हैं, जिनमें बेहतर अभ्यर्थी नहीं मिल पाते हैं और सीट खाली रह जाती है.

Next Article

Exit mobile version