बिहार के प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को अब अपने स्कूल के प्रखंड मुख्यालय या विद्यालय के 15 किलोमीटर के दायरे में ही रहना होगा, ताकि वे समय पर विद्यालय आ और जा सकें और स्कूलों में पढ़ाई सुचारु रूप से हो सके. इसके साथ ही शिक्षकों को पंद्रह किलोमीटर के दायरे में रहने का शपथ पत्र (एफिडेविट) भी देना होगा. इसके लिए शिक्षकों को 31 जनवरी तक का समय दिया गया है. शपथ पत्र जमा करने के बाद ही शिक्षकों का फरवरी माह का वेतन जारी किया जाएगा. इसे लेकर शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे शिक्षकों को इस आदेश से अवगत कराएं और इसका पालन सुनिश्चित कराएं.
नए-पुराने सभी शिक्षकों पर लागू होगा आदेश
माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव की ओर से जारी आदेश में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि इन सब के बाद भी बिहार आवास भत्ता नियमावली के प्रावधान लागू रहेंगे. यह आदेश नव नियुक्त स्कूली शिक्षकों के साथ-साथ पुराने शिक्षकों पर भी समान रूप से लागू होगा.
31 जनवरी तक देना होगा शपथ पत्र
आधिकारिक पत्र के मुताबिक शिक्षकों को हर हाल में अपने आवास की व्यवस्था विद्यालय या प्रखंड मुख्यालय में ही करनी होगी. इसे लेकर प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक तक के शिक्षकों को शपथ पत्र देना होगा कि उन्होंने अपने रहने की व्यवस्था स्कूल के 15 किमी के दायरे में या उस ब्लॉक मुख्यालय में कर ली है. शिक्षकों को यह भी बताना होगा कि हम वहां रहते हैं. ऐसा करने के बाद ही शिक्षकों को फरवरी माह का वेतन भुगतान किया जायेगा. शिक्षकों को 31 जनवरी तक इस आशय का शपथ पत्र देना होगा.
स्कूल के 15 किलोमीटर के दायरे में रहना होगा शिक्षकों को
दरअसल, विभाग ने कहा है कि लगातार यह देखा जा रहा है कि कुछ शिक्षकों में स्कूल देर से आने और समय से पहले चले जाने की प्रवृत्ति है, जिसका मुख्य कारण उनका निवास स्कूल से काफी दूरी पर होना है. दूर रहने के कारण उन्हें समय पर स्कूल आने में दिक्कत हो सकती है. यह स्थिति बेहद चिंताजनक है. साथ ही शिक्षा, विशेषकर बच्चों के लिए शिक्षा की दृष्टि से भी यह उचित नहीं है. ऐसे में विद्यालय के पास में ही आवास की व्यवस्था हो जाने से शिक्षकों को स्कूल आने-जाने में कोई परेशानी नहीं होगी. इसलिए आदेश दिया गया है कि सभी शिक्षक अपने आवास की व्यवस्था अपने विद्यालय के ब्लॉक मुख्यालय या 15 किलोमीटर के दायरे में करें.
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योगदान की सूचना न देने वाले शिक्षकों की होगी जांच
स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति के पहले चरण में अनुशंसित एवं नियुक्त वैसे स्कूल शिक्षक जिन्होंने स्कूल में योगदान तो दे दिया है लेकिन अभी तक इसकी सूचना जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में नहीं दी है. ऐसे शिक्षकों के योगदान की स्वीकृति जिला शिक्षा पदाधिकारी की तरफ से नहीं दी जा सकेगी. ऐसे परिदृश्य में योगदान की स्वीकृति जरूरी है. इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों की जांच कर उनके योगदान की स्वीकृति पर निर्णय लेने के लिए राज्य स्तर पर एक कमेटी का गठन किया गया है. इस समिति में अध्यक्ष सहित चार सदस्य हैं. प्राथमिक शिक्षा के उप निदेशक संजय कुमार चौधरी की अध्यक्षता में बनी इस समिति में बतौर सदस्य माध्यमिक शिक्षा उप निदेशक अब्दुस सलाम अंसारी, प्रशाखा पदाधिकारी आमोद कुमार मिश्रा और आइटी मैनेजर प्रिया राजपाल को बतौर सदस्य मनोनीत किया गया है.
बायोमैट्रिक जांच अनिवार्य होगी
शिक्षकों की जांच के संबंधित आदेश में शिक्षा विभाग द्वारा कहा गया है कि बताये गये शिक्षकों की मुख्यालय स्तर पर जांच प्रक्रिया में बायोमैट्रिक जांच अनिवार्य होगी. उसी के आधार पर उनके कम्प्यूटर पर योगदान स्वीकृति या अस्वीकृति की अनुशंसा की जायेगी. यह आदेश माध्यमिक शिक्षा के निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव की तरफ से जारी किया गया है.