शिक्षकों को 15 मिनट पहले आना होगा स्कूल, केके पाठक को लेकर विधान परिषद में भारी हंगामा

बिहार विधान परिषद में विपक्षी सदस्यों ने एक साथ केके पाठक का मामला उठाया. जिसके बाद सदन में जमकर हंगामा हुआ.

By Anand Shekhar | February 22, 2024 3:00 AM
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के समय को लेकर बुधवार को विधानसभा में फिर दोहराया और कहा कि स्कूलों में पढ़ाई दिन के 10 बजे से शाम चार बजे तक होगी. शिक्षकों को हमेशा 15 मिनट पहले स्कूल आना होगा और विद्यार्थियों के जाने के 15 मिनट बाद उन्हें जाना है. स्कूलों के लिए यह व्यवस्था ही लागू कर दी गयी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि मंगलवार को उन्होंने जो सदन में घोषणा की थी, वह लागू हो गयी है. इसके पहले विपक्षी सदस्यों द्वारा सदन में प्रश्नकाल आरंभ होते ही शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव द्वारा मुख्यमंत्री के आदेश का पालन नहीं करने का सवाल उठाया गया. विपक्ष का आरोप था कि मुख्यमंत्री के आदेश को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक नहीं मानते हैं. हंगामे के बीच शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि सदस्यों को कोई भ्रम नहीं रहना चाहिए. स्कूलों की कक्षाएं अब 10 बजे से चार बजे तक ही चलेगी. शिक्षकों को 15 मिनट पहले आना है.

केके पाठक की टिप्पणी पर विधान परिषद में हंगामा

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के तथाकथित अमर्यादित टिप्पणी वाले पेन ड्राइव का वीडियो देख कर विधान परिषद के सभापति आगे की कार्रवाई के लिए इसकी जानकारी सरकार को देंगे. इस वीडियो को देखने और सुनने के दौरान उपमुख्यमंत्री सहित परिषद के सत्ता पक्ष और विपक्ष के कुछ सदस्य मौजूद रहेंगे. यह बातें विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने बुधवार को सदन की कार्यवाही के दौरान कहीं.

इससे पहले विधान परिषद की कार्यवाही शुरू होते ही सत्ता पक्ष से संजय मयूख और संजीव कुमार सिंह सहित सभी विपक्षी सदस्यों ने एक साथ केके पाठक का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि स्कूलों के समय परिवर्तन का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को निर्देश दिया था. इस संबंध में केके पाठक ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अधिकारियों की बैठक ली. इसमें उन्होंने अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल किया. यह शिक्षकों का अपमान है. सदस्यों ने केके पाठक पर कार्रवाई की मांग की.

सदन में दिया गया पेन ड्राइव

पेन ड्राइव दिखाते हुए भाजपा के संजय मयूख ने कहा कि केके पाठक के वक्तव्य का वीडियो इसमें है, इसे सार्वजनिक किया जाए. इसे उन्होंने सदन को दे दिया. संजीव कुमार सिंह के साथ ही राजद के रामचंद्र पूर्वे ने शिक्षकों का अपमान बताते हुए केके पाठक पर कार्रवाई की मांग की. इसमें हस्तक्षेप करते हुए शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि आसन उस वीडियो को देख ले और सरकार को इससे अवगत करवा दे, कार्रवाई होगी. सदन में वीडियो चलाकर गलत परंपरा की शुरुआत नहीं होनी चाहिए.

कोई भी अधिकारी सरकार के नियम से ऊपर नहीं -विजय चौधरी

शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने विधान परिषद में एक ध्यानाकर्षण पर सरकार की तरफ से कहा कि कोई भी अधिकारी सरकार के नियम से ऊपर नहीं हो सकता है. कोई भी अगर नियम का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी. दरअसल ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विधान पार्षदों का कहना था कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने नियम से परे जाकर तमाम निर्णय लिये हैं. विधान परिषद की दूसरी पाली में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ समय के पहुंचे.

शिक्षा मंत्री चौधरी ने साफ किया कि अगर आप लोगों को लगता है कि शिक्षा विभाग में नियम से परे कोई निर्णय लिया गया है तो उसकी अलग से तथ्यपरक जानकारी दीजिए. जांच करायी जायेगी. जांच में अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उचित कार्यवाही की जायेगी. इस दौरान शिक्षा मंत्री और विधान पार्षदों के बीच गर्म-नर्म बहस भी हुई. खासतौर पर उन्होंने चर्चा में भाग ले रहे एमएलसी से आग्रह किया कि उत्तेजित नहीं होना चाहिए. शिक्षा मंत्री ने बहस के दौरान कहा कि आप लोग सीधे तौर पर बतायें कि किस विधान पार्षद ने सुविधा उन्नयन योजना में किस स्कूल को कितनी राशि दी और उस राशि को डयवर्ट कर दिया गया. हम जांच करायेंगे.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य में शैक्षणिक अनुशासन बनाने के लिए जरूरी कदम उठाये गये हैं. विभाग के सारे निर्णय सक्षम प्राधिकार की अनुमति से लिये गये हैं. शिक्षा मंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों में सिलेबस को पूरा कराने के लिए पांच घंटी पढ़ाने को कहा गया था. यह निर्णय विद्यार्थियों के हित में था. जहां तक संघ पदाधिकारियों पर कार्यवाही का संबंध है, वह केवल उनकी बात थी, जो बिना पंजीयन के चल रहे थे. शिक्षा विभाग से जुड़े इस ध्यानाकर्षण बहस में डॉ संजीव कुमार सिंह , महेश्वर सिंह, प्रो संजय कुमार सिंह ने प्रमुखता से भाग लिया.

2025 तक राज्य के हर खेत तक पहुंचा दिया जायेगा पानी-चौधरी

राज्य सरकार के मंत्री विजय चौधरी बजट पर हुई चर्चा पर जवाब देते हुए घोषणा की कि हर खेत को सिंचाई के लिए पानी 2025 के अंत तक पहुंचा दिया जायेगा. कहा कि राज्य के कुल भोगौलिक क्षेत्रफल का 73 फीसदी क्षेत्र पर हमेशा बाढ़ का खतरा मंडराता रहता है. हालांकि राज्य सरकार बाढ़ पर नियंत्रण के लिए नदी गठजोड़ योजनाओं पर काम कर रही है. इसके जरिये कम जल प्रवाह वाली नदियों में पानी को भेजा जा सकेगा. उन्होंने कहा कि सिमिरिया धाम बिहार का हरिद्वार है. वहां सरकार ने अच्छे काम किये हैं. इसके अलावा उन्होंने जल संसाधन विभाग की कई येाजनाओं पर चर्चा की.

चौधरी ने कहा कि वित्त रहित संस्थानों के शिक्षकों के हित में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तमाम बड़े निर्णय लिये हैं. हम लोग लगातार परीक्षाफल आधारित अनुदान रहे हैं. विभाग ने कह रखा है कि उनके अनुदान को दूसरे किसी मद में खर्च नहीं किया जा सकता है.

बजट पर हुई चर्चा के दौरान रवींद्र प्रसाद सिंह ,अशोक पांडेय, अफाक अहमद, प्रेम चंद्र मिश्रा, अनिल कुमार ,डॉ अजय कुमार सिंह, वीरेंद्र नारायण यादव और डॉ संजय कुमार सिंह ने भाग लिया. शिक्षा और जल संसाधन के बजट पर विशेष चर्चा हुई.

राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को सेवा विस्तार नहीं, अब मिलती है नकद राशि

शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बुधवार को कहा है कि राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को अब सेवा विस्तार नहीं दिया जाता है. उनको अब केवल नकद राशि दी जाती है. मंत्री विजय कुमार चौधरी बुधवार को विधान परिषद की पहली पाली में वरिष्ठ सदस्य अवधेश नारायण सिंह के ध्यानाकर्षण का जवाब दे रहे थे.

इस दौरान मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि 1996 के बाद से किसी को सेवा विस्तार नहीं दिया गया है. इसके बाद राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को 20 हजार रुपये और राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को 10 हजार रुपये दिये जाते थे. वर्ष 2007 के बाद इस नकद राशि में बढ़ोतरी की गयी है. अब राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को तीस हजार और राज्यस्तरीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को 15 हजार रुपये दिये जाते हैं. ऐसे में यदि पुरस्कार प्राप्त कोई शिक्षक इस राशि से वंचित रह गये हैं तो उस संबंध में दिखवा लिया जायेगा और पात्र को राशि दी जायेगी.

शिक्षक नियुक्त हुए बिना बना लिया संघ, हुई थी कार्रवाई

इसके साथ ही डॉ समीर कुमार सिंह, डॉ संजीव कुमार सिंह, प्रो संजय कुमार सिंह और संजय पासवान के ध्यानाकर्षण के जवाब में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा है कि हाइकोर्ट के आदेश की समीक्षा की जायेगी. यह ध्यानाकर्षण संघ-संगठन बनाने और शिक्षा विभाग से बर्खास्त होने संबंधी बबीता चौरसिया के संबंध में था. इस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि जिस समय बबीता चौरसिया ने संघ बनाया उस समय तक उसकी शिक्षक के रूप में नियुक्ति नहीं हुई थी. ऐसे में सेवा में आये बिना संघ बना लिया और वह सरकार को बदनाम कर रही थी, इसलिए कार्रवाई हुई.

सेवा प्रदाता को देनी होती है जीएसटी:मंत्री

मंत्री विजय कुमार चौधरी ने घनश्याम ठाकुर के डाटा इंट्री ऑपरेटर के वेतन से जीएसटी कटने संबंधी एक तारांकित प्रश्न के उत्तर में कहा है कि सेवा प्रदाताओं को जीएसटी देनी होती है. सभी सरकारों की सहमति से देशभर में जीएसटी लागू किया गया है. इसी के तहत कोचिंग संस्थान, बैंक्वेट हॉल वाले आदि सेवा के बदले सर्विस टैक्स के रूप में जीएसटी देते हैं.

बाबा सिंहेश्वर नाथ मंदिर को लेकर होगी परामर्शी की बहाली: डॉ प्रेम कुमार

मधेपुरा जिला के बाबा सिंहेश्वर नाथ मंदिर को बेहतर बनाने के लिए टीम गठित कर एक सप्ताह में सर्वे करवाया जायेगा. साथ ही परामर्शी की बहाली होगी. वहां के मंदिर को बेहतर करने के लिए पहले भी राशि दी जाती रही है. यह वक्तव्य पर्यटन विभाग के मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने बुधवार को विधान परिषद की पहली पाली की कार्यवाही में जदयू के ललन कुमार सर्राफ के ध्यानाकर्षण के जवाब में दिया है. इस दौरान भाजपा के देवेश कुमार ने कहा कि पर्यटन विभाग का बजट 320 करोड़ रुपये का है. ऐसे बजट बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि हर जिले में ऐतिहासिक स्थल और मंदिर हैं जिनका जीर्णोद्धार जरूरी है. जदयू के गुलाम गौस ने कहा कि इससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.

बेतिया राज के जमीन के प्रबंधन की जिम्मेदारी छोटे अधिकारी को क्यों, मंत्री करेंगे समीक्षा

बेतिया राज के जमीन के प्रबंधन की जिम्मेदारी अंचल अधिकारी जैसे छोटे अधिकारी को क्यों दी गयी है? यह प्रश्न विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री विजय कुमार सिन्हा से बुधवार को परिषद की पहली पाली की कार्यवाही के दौरान पूछा है. इस पर मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि वे इस मामले की समीक्षा करेंगे.इससे संबंधित तारांकित प्रश्न बुधवार को विधान परिषद की पहली पाली में सदस्य महेश्वर सिंह ने उठाया था. उन्होंने बेतिया राज के जमीन पर अतिक्रमण का मामला उठाते हुए सरकार से पूछा था कि बेतिया राज की कितनी जमीन अतिक्रमित है? उसे कब तक अतिक्रमणमुक्त करा लिया जायेगा?

उन्होंने कहा कि यह बिहार सरकार की संपत्ति है और स्थानीय स्तर पर जमीन की लूट मची है. इस पर मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि 2017 में राजस्व पर्षद की बैठक में बेतिया राज की जमीन करीब 15 हजार 358 एकड़ बतायी गयी. वहीं, करीब 9724 एकड़ जमीन अतिक्रमित बतायी गयी. इस पर महेश्वर सिंह सहित अन्य सदस्यों ने सदन की कमेटी बनाकर इसकी जांच की मांग की. भाजपा के संजय पासवान ने बंधु उपाध्याय की रिपोर्ट सदन में लाने की मांग की. इस पूरे प्रकरण में मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि वे सदन की कमेटी की जगह किसी अन्य कमेटी से जांच के लिए तैयार हैं. इस पर महेश्वर सिंह ने कहा कि सरकार किसे बचाना चाहती है? वे नाराज होकर सदन से वाॅकआउट करने लगे तो आसन सहित अन्य सदस्यों ने उनको रोका और आगे की कार्रवाई का आश्वासन दिया.

विपक्ष ने किया हंगामा, वेल में धरना के बाद सदन का बहिष्कार

सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही विधानसभा में विपक्षी सदस्यों ने प्रश्नकाल स्थगित कर कार्यस्थगन पर चर्चा कराने को लेकर हंगामा करने लगे. राजद, कांग्रेस और वाम दलों के सदस्यों का कहना था कि शिक्षकों के विद्यालय आने के समय को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा मुख्यमंत्री के आदेश को नहीं माना गया है. उनका दूसरा आरोप था कि मंगलवार को सदन में बजट पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्य द्वारा अपशब्द का इस्तेमाल किया गया है. इसको लेकर सदस्य को मांफी मांगना चाहिए.

प्रश्नकाल के दौरान विपक्षी सदस्यों के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जवाब से असंतुष्ट होकर हंगामा करते हुए वेल में आकर धरना पर बैठ गये. प्रश्नकाल में हंगामा करते रहे और वेल में बैठकर ही अपनी बात रखते रहे. आसन की ओर से विपक्षी सदस्यों से आसन पर जाने का अनुरोध किया गया पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा. प्रश्नकाल में विपक्षी सदस्यों ने सदन का बहिष्कार किया और शून्यकाल में जब वे सदन में लौटे तो फिर से अपनी मांग को लेकर हंगामा किया. विपक्षी सदस्यों ने शून्यकाल में अपनी बात सदन में नहीं रखी और सदन का दोबारा बहिष्कार किया. इस दौरान अजीत शर्मा का ध्यानाकर्षण सूचना भी नहीं पढ़ी गयी.

शून्यकाल में उठा उज्बेकिस्तान में बिहारी मजदूरों की मौत और गांधी मैदान में प्रदूषण का मुद्दा

विधान परिषद में पहली पाली की कार्यवाही के दौरान शून्यकाल में उज्बेकिस्तान में बिहारी मजदूरों की मौत और पटना के गांधी मैदान में प्रदूषण बढ़ने की आशंका का मुद्दा प्रमुखता से उठा. भाजपा के संजय मयूख ने अखबार की प्रति दिखाते हुये कहा कि उज्बेकिस्तान में हादसे में गोपालगंज और सीवान के करीब 80 मजदूर घायल हैं और कई की मौत हो गई है. ऐसे में घायलों के इलाज और मृतकों के शवों को बिहार लाने के संबंध में उन्होंने सरकार से स्पष्ट वक्तव्य की मांग की.
वहीं जदयू के रवींद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि गांधी मैदान में पेड़ों के नीचे कंक्रीट बिछाई जा रही है. इससे वहां प्रदूषण फैलने और लोगों को शुद्ध हवा नहीं मिलने की आशंका जाहिर की. इस तरफ सरकार का ध्यान आकृष्ट करने का निवेदन किया.

वहीं प्रमोद कुमार ने कैमूर के अघौरा में आगामी मौसम में भीषण गर्मी की आशंका जाहिर की. उन्होंने पशुओं के लिए चारा, पानी और मूलभूत सुविधाओं की तरफ सरकार का ध्यान आकृष्ट करने की मांग की. इस दौरान अशोक कुमार ने स्थानीय पोलिटेक्निक कॉलेज का नामकरण डॉ श्रीकृष्ण सिंह के नाम करने की मांग की. वहीं घनश्याम ठाकुर ने बाइपास सड़कों का निर्माण तेजी करवाने की मांग की.

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