बिहार में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के कर्मी सप्ताह में एक दिन बिना पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियों से दफ्तर आयेंगे. पेट्रोल और डीजल की गाड़ियों से कार्यालय आने वाले अफसरों और कर्मियों को इ-रिक्शा, रिक्शा, इलेक्ट्रिक व्हीकल और सीएनजी गाड़ियों का उपयोग करने की सलाह दी गयी है. विभाग की ओर से कहा गया कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने की दिशा में यह छोटा कदम है, लेकिन इसका असर पड़ेगा.
विभाग की सचिव बंदना प्रेयषी ने कहा कि यदि राज्य सरकार के सभी विभाग इस पहल को लागू करे तो यह पर्यावरण की दृष्टिकोण से अच्छा होगा. मंगलवार को बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने डब्ल्यूआरआइ इंडिया और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के सहयोग से जलवायु परिवर्तन को लेकर क्षमता निर्माण-सह-प्रशिक्षण कार्यशाला की थी. इसे संबोधित करते हुए बंदना प्रेयषी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण शीत ऋतु की अवधि छोटी हो रही है. पहले यह पांच महीने की होती थी, आज 15-20 दिनों पर आकर सिमट गया है.
बिहार राज्य प्रदूषण बोर्ड (बीएसपीसीबी) के अध्यक्ष डीके शुक्ला ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को को कम करने के लिए लोगों को जीवनशैली में बदलाव लाना जरूरी है. कार्यशाला को बीएसपीसीबी सदस्य एस चंद्रशेखर और वैज्ञानिक डॉ नवीन कुमार आदि ने भी संबोधित किया.
डब्ल्यूआरआइ इंडिया की निदेशक उल्का केलकर ने बिहार में जीविका दीदी की नर्सरी की तारीफ की और कहा कि यह पहल जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मददगार साबित होगी. एक तरफ लोगों पौधे लगायेंगे और दूसरी तरफ नर्सरी से उनकी आमदनी भी बढ़ेगी. उन्होंने प्रकृति-आधारित समाधानों की आवश्यकता और समुदायों को जोड़ने पर बल दिया. वहीं, शशिधर झा ने कहा कि एक डिग्री तापमान में बढ़ोतरी के बाद से गेहूं की उत्पादन में दस से बारह फीसदी तक कमी हो सकती है.
गया शहर में बढ़ते प्रदूषण से निजात के लिए परिवहन विभाग ने बड़ा फैसला लिया है. इसके तहत गया के नगर निगम क्षेत्र में चलने वाले पेट्रोल व डीजल युक्त ऑटो के परिचालन पर ब्रेक लगाने की तैयारी है. नगर निगम क्षेत्र में चलने वाले पेट्रोल-डीजल युक्त ऑटो के परिचालन पर 30 सितंबर की आधी रात के बाद परिवहन विभाग ने रोक लगाने का निर्देश जारी किया है. इससे तहत करीब 3500- 42000 पेट्रोल व डीजल युक्त ऑटो के शहर में परिचालन पर रोक लगेगी. इन वाहनों से निकलने वाले धुएं से शहर को राहत मिलेगी.
गया में परिवहन विभाग की ओर से इसकी कवायद शुरू कर दी गयी है. ऑटो चालकों के साथ दो बार बैठक की गयी है. जानकार बताते हैं कि पेट्रोल-डीजल वाले ऑटो के परिचालन पर रोक से शहर में अस्थमा व फेफड़े समेत अन्य मरीजों को राहत मिलेगी. ऑटो चालकों व मालिकों को सीएनजी किट लगाने को लेकर जागरूकता के लिए विभाग जानकारी युक्त पंपलेट बांटने की तैयारी कर रहा है. बेरोजगार ऑटो चालक संघ के उपाध्यक्ष एहतेशाम खां ने बताया कि शहर में करीब 3500-4200 डीजल व पेट्रोल युक्त ऑटो चल रहे हैं. इसे सीएनजी में कन्वर्ट करने के लिए जिला परिवहन पदाधिकारी के साथ बैठक हुई है.
पेट्रोल व डीजल से चलने वाले ऑटो को सीएनजी में कन्वर्ट करने के लिए परिवहन विभाग के द्वारा आवेदन मांगे जा रहे हैं. दो अधिकृत कंपनियों को ऑटो में सीएनजी किट लगाने का काम सौंपा गया है. ऑटो मालिकों को सीएनजी किट लगाने के लिए पैसे की कमी को लेकर बहाना भी नहीं चलेगा. क्योंकि, ऑटो में सीएनजी किट अनुदान के तहत लगाये जायेंगे.
बिहार के पटना, गया व मुजफ्फरपुर में प्रदूषण कम करने की कवायद की जा रही है. ये शहर बिहार के सबसे ज्यादा प्रदूषण वाले शहरों में शामिल हैं. पटना के बाद गया शहर में पेट्रोल व डीजल से चलने वाले ऑटो पर ब्रेक लगाया जायेगा. शहर में ऑटो का परिचालन सीएनजी से किया जायेगा.
सीएनजी गैस के रूप में मीथेन युक्त हाइड्रोकार्बन का एक मिश्रण में कम ऊर्जा घनत्व होता है. क्योंकि, इसे 200 से 250 किग्रा / सेमी 2 के दबाव पर संपीड़ित किया जाता है. इस गैस को एक सिलेंडर में स्टोर करने के बाद वाहनों के परिचालन के लिए सक्षम बनाता है. इसे संपीड़ित प्राकृतिक (गैस कम्प्रेसड नेचुरल गैस) गैस कहा जाता है. पेट्रोल से बेहतर एक हरित ईंधन के रूप में माना जाता है.
गया शहर में पेट्रोल व डीजल से चलने वाले ऑटो को सीएनजी में बदला जाना है. 30 सितंबर की आधी रात के बाद गया शहर में पेट्रोल व डीजल से चलने वाले ऑटो का परिचालन नहीं होगा. ऑटो को सीएनजी में कन्वर्ट करने के लिए चालकों के साथ बैठक भी हुई है. अनुदान पर सीएनजी किट लगेंगे. जल्द ही जागरूकता पंप्लेट का वितरण किया जायेगा.
विकास कुमार, जिला परिवहन पदाधिकारी, गया