तेजस्वी यादव ने संघर्ष के दम पर पाया यह मुकाम, महज 25 साल की उम्र में किया था राजनीति में प्रवेश
सात साल पहले पहली बार विधायक बने तेजस्वी प्रसाद यादव ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर एक शानदार शुरुआत की थी, लेकिन उसके बाद उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा. अब वह फिर उपमुख्यमंत्री बन कर किंगमेकर की भूमिका में बिहार की राजनीति के केंद्र में आ गये हैं.
पटना. सात साल पहले पहली बार विधायक बने तेजस्वी प्रसाद यादव ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर एक शानदार शुरुआत की थी, लेकिन उसके बाद उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा. अब वह फिर उपमुख्यमंत्री बन कर किंगमेकर की भूमिका में बिहार की राजनीति के केंद्र में आ गये हैं. करिश्माई नेता लालू प्रसाद के 33 वर्षीय छोटे बेटे ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की चुनावी कमान संभाली और प्रभावी प्रदर्शन किया.
तेजस्वी के नेतृत्व में ही राजद ने किया सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
राजद ने 2020 के विस चुनाव में करीबी मुकाबले में 75 सीटें जीतकर अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और सबसे बड़े दल का तमगा हासिल किया. वह भी ऐसी परिस्थिति में जब पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद जेल में थे. वह एक सशक्त विपक्ष के नेता के रूप में प्रभाव छोड़ रहे थे. अपने पिता के कट्टर प्रतिद्वंद्वी के नेतृत्व वाली सरकार को वह विधानसभा से लेकर सड़क पर चुनौती दे रहे थे.
सबसे छोटे और पिता के चहेते
नौ नवंबर, 1989 को जन्मे तेजस्वी लालू और राबड़ी देवी के नौ बच्चों में सबसे छोटे हैं और वह अपने पिता के सबसे चहेते भी. लालू ने छोटी सी उम्र में ही उनकी राजनीतिक क्षमता पहचान ली थी. तेजस्वी को घर वाले तरुण के नाम से पुकारते हैं. उन्होंने चंडीगढ़ की रहने वाली राचेल आयरिश से विवाह किया है. शादी के बाद राचेल ने अपना नाम राजश्री अपना लिया.
क्रिकेट में हाथ नहीं लगी बड़ी सफलता
उन्होंने क्रिकेट के मैदान में अपनी आकांक्षाओं को आगे बढ़ाया, लेकिन कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी. वर्ष 2015 में महज 25 साल की उम्र में राजनीति में प्रवेश से कुछ ही साल पहले उन्होंने क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी थी. पिता की विरासत और अपनी मेहनत से आज उस मुकाम को पाया है, जिसे पाना कतई आसान नहीं था.
मुफीद साबित हुई राजनीति की पिच…
राजनीति की पिच उनके लिए मुफीद साबित हुई. उन्होंने राघोपुर से विभा चुनाव आसानी से जीत लिया. तेजस्वी ने परिपक्वता भी दिखायी जो उनकी उम्र के अनुकूल नहीं थी.विपरीत परिस्थितियों में भी तेजस्वी ने राजद को मजबूत बनाये रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी.