बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ती हुई दिख रही है. तेजस्वी पर गुजरातियों के अपमान करने का आरोप लगाते हुए मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया गया है. इस मामले में अहमदाबाद की मेट्रोपॉलिटन कोर्ट ने आज केश की पहली सुनवाई की. सुनवाई में शिकायतकर्ता हरेश मेहता का बयान दर्ज किया गया. एडीशिनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट डी जे परमार ने इस बयान को रिकार्ड पर लिया.
अहमदाबाद की मेट्रो कोर्ट में आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत यह याचिका दायर की गयी है. मामले में एक मई को पहली सुनवाई हुई. इस दौरान शिकायतकर्ता के वकील ने कोर्ट से समन जारी करने की मांग की. कोर्ट ने आज मामले में संक्षिप्त सुनवाई के बाद अगली सुनवाई के लिए आठ मई की तारीख तय की है.
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मार्च महीने में भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को लेकर मोदी सरकार पर तंज कसा था. उन्होंने कहा था कि आज के हालात में देखा जाये तो देश में सिर्फ गुजराती ठग होते हैं और उनके ठग को माफ किया जाता है. एलआईसी और बैंक का पैसा दे दिया जाए और वे लोग लेकर भाग जाए तो कौन जिम्मेवार होगा? तेजस्वी के इसी बयान पर अहमदाबाद के व्यापारी हरेश मेहता ने तेजस्वी यादव पर 26 अप्रैल को कोर्ट में मानहानि का मुकदमा किया था. तेजस्वी का यह बयान सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुआ था.
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2019 के मोदी उपनाम बयान से जुड़े मानहानि के मामले में सूरत की सेशन कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दो साल की सजा सुना चुकी है. बीते 23 मार्च को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एच. एच. वर्मा की अदालत ने कांग्रेस नेता को 2019 में एक चुनावी रैली के दौरान की गई उनकी टिप्पणी ‘सभी चोरों का मोदी उपनाम कैसे हो सकता है’ के लिए दोषी ठहराते हुए दो साल कैद की सजा सुनाई थी. अदालत के इस फैसले के बाद वायनाड से सांसद चुने गए राहुल को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया गया था. राहुल ने लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान अप्रैल, 2019 में कोलार में यह टिप्पणी की थी.