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महागठबंधन की सरकार बनाने के बाद अब इस मिशन पर जुटे तेजस्वी यादव, बिहार BJP की बढ़ी टेंशन

लोकसभा चुनाव में अभी दो साल का समय बचा हुआ है. इन सबके बीच बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार (Nitish Kumar) व तेजस्वी यादव के दिए झटके से बिहार बीजेपी (Bihar BJP) उबर नहीं पाई है. जबकि तेजस्वी यादव मिशन लोकसभा चुनाव पर जुट गए हैं.

पटना: बिहार में महागठबंधन की नई सरकार बन चुकी है. सियासी घटनाचक्र से एक ओर जहां बीजेपी उबर नहीं पाई है. वहीं, नीतीश कुमार व तेजस्वी यादव कैबिनेट गठन की तैयारी में लग गए हैं. नीतीश कुमार व तेजस्वी यादव की सरकार में मंत्रिमंडल का फॉर्मूला (Nitish Kumar Cabinet List)अब लगभग तय हो चुका है. जिन चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी. ये भी लगभग तय ही हो चुका है. इन सब के बीच एक बड़ी खबर जो सामने आ रहे ही है. वह यह है कि मंत्रिमंडल गठन के साथ-साथ ही तेजस्वी यादव बीजेपी से एक कदम आगे रहने के लिए मिशन-2024 की तैयारियों को लेकर जुट चुके हैं.

लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी शुरू

कहा जाता है कि बीजेपी पूरे वर्ष चुनाव को लेकर तैयार रहती है. यही नहीं राजनीतिक जानकार तो यहां तक कहते हैं कि बीजेपी हमेशा चुनावी रथ पर स‍वार रहती है. लोकसभा चुनाव में अभी दो साल का समय बचा हुआ है और उससे पहले अभी देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने बाकी हैं. इसी बीच बिहार में तेजस्वी यादव और नीतीश ने ऐसा खेला रचा की. बीजेपी की सरकार उसमें फंस गई. और महागठबंधन की सरकार बन गई. तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के इस ‘खेला’ से बिहार बीजेपी अभी तक नहीं उबर पाई है. वहीं, तेजस्वी यादव ने अभी से ही लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी शुरू भी कर दी है. बता दें कि मंत्रिमंडल गठन से पूर्व तेजस्वी ने दिल्ली में लालू यादव से मुलाकात करने के बाद ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी समेत कई नेताओं से मुलाकात की थी.

2019 में ‘मोदी सुनामी’ में उड़ी थी 39 सीट

बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार ने साथ आकर बिहार में महागठबंधन की सोशल इंजिनियरिंग को रौंद डाला था. एनडीए ने बिहार की 40 में से 39 सीटों पर जीत दर्ज कर लगभग क्लीन स्वीप कर लिया था. लोकसभा चुनावों में एनडीए ने लालू प्रसाद की आरजेडी, RLSP, हम (एस) और वीआईपी पार्टियों के महागठबंधन का सफाया कर दिया था. हालांकि कांग्रेस ने मुस्लिम बहुल किशनगंज सीट को जीतकर महागठबंधन का खाता खोल दिया था. बिहार की कुल 40 सीटों में से आरजेडी ने 19 सीटों, कांग्रेस ने 9 सीटों, उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी ने 5 सीटों, जीतनराम मांझी की अगुवाई वाली हम (एस) और मुकेश साहनी की अगुवाई वाली वीआईपी ने 3-3 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. महागठबंधन ने आरा लोकसभा की एकमात्र सीट सीपीआई (एमएल) के लिए छोड़ दिया था, जहां भी उसे हार ही मिली.

लालू-नीतीश की दोस्ती के आगे सारे समीकरण पस्त

बता दें कि बिहार में नीतीश कुमार का सियासी आधार वोट बैंक ओबीसी और महादलित रहे हैं. करीब 8 से 10 फीसदी वोट शेयर के साथ वे जिस खेमे में होते हैं, सरकार उसकी लगभग तय हो जाती है. लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी एमवाई (MY) समीकरण यानी मुस्लिम-यादव को साधती है. जेडीयू ,आरजेडी और कांग्रेस का एक साथ आने से बिहार में बीजेपी के सामाजिक समीकरण को धक्का पहुंचाता है. ऐसे में दोनों अगर मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो सारे समीकरण ध्वस्त हो जाते हैं.

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