जमुई. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के मिशन 60 के बाद राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं को विश्वस्तरीय बनाने के लिए तमाम दावे किए जा रहे हैं. लगातार यह दावा किया जाता है कि कोरोना लहर के बाद इसमें तेजी भी आई है. लेकिन, जमुई जिले से सामने आई तस्वीरों ने सरकार के इन दावों की कलई खोल दी है. जमुई सदर अस्पताल में हालत यह हो गई है कि अस्पताल में भर्ती मरीजों का इलाज टॉर्च की रोशनी में हो रहा है. कुछ ऐसा ही हाल रविवार को भी देखने को मिला, जब सदर अस्पताल में बिजली नहीं होने के कारण पूरा अस्पताल परिसर अंधेरे में समाया रहा. इतना ही नहीं अस्पताल में भर्ती मरीजों का इलाज टॉर्च की रोशनी में होता रहा.
जमुई जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल जिले का सबसे बड़ा अस्पताल है. जिले के तमाम अस्पतालों से रेफर होकर मरीज गंभीर अवस्था में यही पहुंचते हैं. यहां ऑक्सीजन से लेकर अन्य कई तरह की सुविधाओं का दावा किया जाता है. लेकिन रविवार को जो तस्वीर सामने आई उसने उन सभी दावों की पोल खोल कर रख दी है. गौरतलब है कि बिहार में मिशन 60 के नाम पर सभी अस्पतालों को चकाचक करने का दावा किया जाता है, अस्पताल में लोगों को बेहतर सुविधा मुहैया कराई जाए इसे लेकर अस्पतालों का रंग रोगन किया गया है. परंतु हकीकत यह है कि अस्पतालों के बाहर की हालत तो सुधार दी गई, लेकिन आंतरिक व्यवस्था में कोई सुधार होता दिख नहीं रहा है.
इस बीच सबसे बड़ा प्रश्न है कि अब मरीजों के होने वाली परेशानियों के लिए कौन जिम्मेदार है. यह भी बता दें कि सदर अस्पताल से लगातार लापरवाही की ऐसी खबरें आती रहती हैं. बीते हफ्ते ऑक्सीजन प्लांट के ठप हो जाने के कारण ऑक्सीजन के अभाव में एक मरीज की मौत होने की बात सामने आई थी और अब अंधेरे में मरीजों के इलाज होने की बात सामने आई है. इन सभी घटनाओं ने जमुई सदर अस्पताल की हकीकत की पोल खोल कर रख दी है. इस बाबत अस्पताल प्रबंधक रमेश पांडेय ने कहा कि अस्पताल के वायरिंग में कुछ दिक्कत आने के कारण लेट थोड़ी देर के लिए चली गई थी. हालांकि इसकी वैकल्पिक व्यवस्था भी रखी गई है. जिसे दुरुस्त कर लिया जाएगा. शाम होने के कारण थोड़ी परेशानी हुई है.