पीएम मोदी ने ‘बिहार के शहजादे’ कहकर क्या हमला बोला? जानिए तेजस्वी यादव का पलटवार..

बिहार के दरभंगा में पीएम मोदी ने जब तेजस्वी यादव के लिए शहजादे शब्द का जिक्र किया तो जानिए क्या रही राजद की प्रतिक्रिया..

By ThakurShaktilochan Sandilya | May 5, 2024 10:26 AM

पीएम नरेंद्र मोदी शनिवार को जब चुनावी जनसभा को संबोधित करने के लिए जब दरभंगा आए तो अपने भाषण के जरिए उन्होंने राजद को भी सख्त अंदाज में निशाने पर लिए. पीएम मोदी के निशाने पर तेजस्वी यादव भी रहे. उन्होंने कहा कि एक शहजादे दिल्ली में हैं तो दूसरा बिहार में है. वहीं लालू-राबड़ी शासनकाल की याद भी लोगों को दिलायी. वहीं पीएम मोदी की तरफ से हुए इन हमलों पर अब तेजस्वी यादव समेत राजद व महगाठबंधन कुनबे की ओर से पलटवार भी किया जा रहा है.

पीएम ने कहा शहजादा तो तेजस्वी ने किया पलटवार

दरभंगा में जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने दो शहजादों की बात की जिसमें एक दिल्ली तो दूसरा बिहार के शहजादे का जिक्र उन्होंने किया. वहीं पीएम मोदी ने इशारे ही इशारे में तेजस्वी यादव पर निशाना साधा तो तेजस्वी यादव ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कुछ भी बोल सकते हैं. वो पीरजादे यानी बुजुर्ग हैं तो कुछ भी बोल सकते हैं. हमलोग छोटे हैं. लेकिन वो दरभंगा मिथिला की धरती आए हैं तो लोग काम की बात सुनना चाहते हैं. केंद्र और बिहार में उनकी सरकार है लेकिन आजतक कुछ नहीं कर सके. पीएम को दरभंगा एम्स भी चले जाना चाहिए था. लोग ढूंढते हैं कि एम्स कहां है.

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क्या बोले थे पीएम मोदी..

दरअसल, दरभंगा में रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जैसे एक शहजादे दिल्ली में हैं वैसे ही एक शहजादे पटना में भी है. एक शहजादे ने बचपन से पूरे देश को तो दूसरे शहजादे ने पूरे बिहार को अपनी जागिर समझा है. इन दोनों शहजादों के रिपोर्ट कार्ड एक ही जैसे हैं. इनके रिपोर्ट में सिवाय घोटाले व बेलगाम कानून व्यवस्था के कुछ भी नहीं है. याद किजिए कैसे बिहार में अपहरण उद्योग चलता था. बड़े बड़े घोटाले से बिहार के खजाने को लूटा जाता था. बहन-बेटियां शाम के बाद सड़क पर नहीं निकलती थीं.

शिवानंद तिवारी बोले..

वहीं राजद नेता शिवानंद तिवारी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली, पटना के युवा नेताओं का संकल्प है कि अपने को बादशाह समझने वाले पीएम को दिल्ली की सत्ता से उतार देंगे.उन्होंने कहा कि बादशाह की घबराहट समझी जा सकती है क्योंकि देश की जनता ने युवाओं के संकल्प के पीछे अपनी ताकत लगा दी है. प्रधानमंत्री को एहसास हो गया है कि दिल्ली के तख्त पर उनके गिनती के दिन रह गये है.

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