पटना. 15वें वित्त आयोग की सिफारिश पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने शहरी स्थानीय निकायों के लिए 4761 करोड़ रुपये का अनुदान जारी किया है.उसमें बिहार के हिस्से में महज 7.35 करोड रुपए ही आई है. इसको लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है. इस मुद्दे पर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ( Tejashwi Yadav ) से मीडिया ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि बिहार में 38 हेड क्वार्टर नगर निकाय के हैं. केंद्र सरकार खर्च करने के लिए 7 करोड़ 35 लाख रुपए दी है. इसमें बिहार का क्या विकास होगा?
तेजस्वी यादव ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में बिहार टॉप रैंक में है. इंफ्रास्ट्रक्चर मामले में हम लोग लीडिंग स्टेट हैं. केंद्र सरकार बिहार को थोड़ी मदद करें. बिहार को अगर विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए तो बिहार दो सालों के अंदर टॉप पांच में पहुंच जाएगा. केंद्र सरकार बिहार के साथ भेद भाव तो कर ही रही है. केंद्र सरकार पक्षपात कर रही है. ये आरोप नहीं है 15वें वित्त आयोग की सिफारिश के आधार पर बोल रहे हैं, एविडेंस के साथ बोल रहे हैं.
बता दें कि 15वें वित्त आयोग की सिफारिश पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने शहरी स्थानीय निकायों के लिए 4761 करोड़ रुपये का अनुदान वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए जारी किया है.उसमें बिहार के हिस्से में महज 7.35 करोड रुपए ही आई है. जबकि पड़ोसी राज्य झारखंड को इस मद से करीब 12 करोड़ और उत्तर प्रदेश को 1988 करोड़ मिलेगा. दरअसल में यह राशि केंद्र सरकार राज्यों को वित्त आयोग द्वारा निर्धारित फॉर्मूले के आधार पर जारी करती है. राज्यों की हिस्सेदारी तय करने के लिए वित्त आयोग ने शहरीकरण को आधार बनाया है.
15वें वित्त आयोग ने 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए अपनी रिपोर्ट में शहरी स्थानीय निकायों को दो श्रेणियों में बांटा है- (ए) 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरी समुदायों/शहरों (दल्लिी और श्रीनगर को छोड़कर) और (बी) दस लाख से कम आबादी वाले अन्य शहर और कस्बे (नॉन मिलियन प्लस सिटीज).15वें वित्त आयोग ने इन शहरों के लिए अलग से अनुदान देने की सिफारिश की है. दस लाख से अधिक शहरों/शहरी समूहों (एमपीसी/यूए) के लिए आयोग द्वारा अनुशंसित कुल अनुदानों में से, ठोस अपशष्टि प्रबंधन घटक के लिए 2/3 से अधिक की सिफारिश की जाती है और शेष 1/3 को परिवेशी वायु गुणवत्ता के लिए आवंटित किया जाता है.