Loading election data...

Bihar: उसना चावल के चक्कर में सरकार के 10 करोड़ रुपये फंसे!, ढाई सौ कामगारों के रोजगार पर भी लगा ग्रहण

चालू वर्ष में भी यह द्वंद पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है. लेकिन, चालू वर्ष में सरकारी अनुदानित अरवा मिलों को अरवा चावल कूटने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गयी है. ऐसे में सरकारी अनुदान पर लगाये गये अरवा मिलों के सामने गंभीर संकट खडा हो गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 10, 2022 10:11 AM

कैमूर. उसना चावल के चक्कर में कैमूर जिले में अरवा मिलों पर लगाये गये सरकार के लगभग नौ करोड़ रुपये से अधिक की राशि फंसती नजर आ रही है. धान अधिप्राप्ति के चालू सीजन में सरकार के आदेश पर जिले में अनुदानित सरकारी अरवा मिलों के अरवा चावल कूटने पर पाबंदी लगा दी गयी है. पिछले साल से ही सरकार ने किसानों से किये गये धान अधिप्राप्ति का उसना चावल तैयार कराने का निर्णय लिया था. लेकिन, जिले में उसना मिलों की संख्या कम देखते हुए सरकारी अनुदानित मिलों को गत वर्ष अरवा चावल तैयार कराने का निर्देश दिया गया था. उसना अरवा के चक्कर में सरकार और क्रय समितियों के बीच चली खिंचातानी में पैक्स और व्यापार मंडलों ने लंबे समय तक किसानों के धान खरीद को भी लटका कर रखा था.

आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य का था उद्देश्य

चालू वर्ष में भी यह द्वंद पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है. लेकिन, चालू वर्ष में सरकारी अनुदानित अरवा मिलों को अरवा चावल कूटने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गयी है. ऐसे में सरकारी अनुदान पर लगाये गये अरवा मिलों के सामने गंभीर संकट खडा हो गया है. दरअसल, पैक्सों और व्यापार मंडलों को आर्थिक रूप से मजबूत करने और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से सरकार ने पैक्स को आर्थिक सहायता दी थी. जिले में इसकी शुरूआत वित्तीय वर्ष 2008-09 हुई थी. तब चावल मिल लगाने के लिए सरकार द्वारा जिले के दो पैक्स को प्रति मिल 24 लाख रुपये के दर से 48 लाख र्परुये मिल मालिकों को अनुदान पर दिया गया. वर्ष 2010-11 में सरकार ने तीन मिलों को प्रति मिल 28 लाख के दर से 84 लाख रुपये पैक्स को अनुदान पर दिया. वित्तीय वर्ष 2012 से 2014 में फिर दो मिलों के लिए 32.10 लाख रुपये प्रति मिल के दर से 64 लाख 20 हजार रुपये पैक्स को अनुदान पर दिये गये.

अनुदान पर दिये गये रुपये

वित्तीय वर्ष 2014 से 2016 तक फिर नौ मिलों के लिए 34.40 लाख रुपये की दर से तीन करोड. नौ लाख 60 हजार रुपये अनुदान पर दिये गये. वित्तीय वर्ष 2016-17 में एक मिल के लिए 59 लाख 45 हजार रुपये सलथुआ पैक्स को दिया गया. फिर वित्तीय वर्ष 2017-18 में पांच मिलों के लिए तीन करोड़ 87 लाख 25 हजार रुपये दिया गया. मिलाजुला वर्ष 2013 से लेकर 2018 तक सरकार ने 21 मिलों के स्थापना के लिए पैक्सों पर नौ करोड़ 58 लाख 50 हजार रुपये खर्च कर दिया. अनुदानित मिल के इस राशि पर पैक्सों को 50 प्रतिशत अनुदान था, जिसका किस्त पैक्सों को 20 साल में जमा करना था. किस्त की राशि किसी मिल की 60 हजार रुपये प्रति किस्त, तो किसी मिल की एक लाख 82 हजार रुपये प्रति किस्त निर्धारित की गयी थी. यानी सरकार द्वारा दी गयी राशि के आधी राशि को पैक्सों को 20 साल में एक वर्ष के अंदर दो किस्तों में जमा करना था.

Also Read: गया मगध मेडिकल में बनेगा 50 बेडों का क्रिटिकल केयर यूनिट, सर्जरी सहित गंभीर बीमारियों का होगा इलाज
जानें पूरा मामला

पैक्सों द्वारा खरीदे जा रहे धान के नमी को सुखाने के लिए दो वर्ष पूर्व सरकार ने अनुदानित चावल मिलों को ड्रायर लगाने के लिए भी 22 लाख रुपये प्रति मिल के दर से अनुदान पर राशि दी. इस राशि पर भी सरकार द्वारा 50 प्रतिशत अनुदान का छूट लागू किया गया था. इस तरह पैक्सों को अनुदान काट कर 11 लाख रुपये की राशि सरकार को किस्त पर वापस करनी थी. मिलाजुला कर ड्रायर लगाने के लिए भी अनुदानित मिलों वाले पैक्सों को कुल चार करोड 62 लाख रुपये सरकार द्वारा दिये गये. इस तरह अनुदानित मिलों और ड्रायर पर सरकार ने मिलाजुला कर 14 करोड़ 20 लाख 50 हजार रुपये खर्च कर दिये. जहां तक किस्त की राशि पैक्सों द्वारा वापस किये जाने का सवाल है, तो जिला सहकारिता पदाधिकारी सह धान क्रय नोड्ल पदाधिकारी नयन प्रकाश द्वारा पैक्सों ने कुछ साल के सालाना किस्त की राशि भी जमा की है. अनुमानत: यह राशि तीन-चार करोड़ के बीच में होनी चाहिए.

अरवा मिलों के ढाई सौ कामगारों के रोजगार पर भी लगा ग्रहण

कैमूर जिले में सरकारी अनुदान पर स्थापित पैक्स के अरवा मिलों में काम करने वाले कामगारों के रोजगार पर भी कुटाई बंद कराने के पाबंदी पर ग्रहण लग गया है. सरकार के अनुदान पर अरवा मिल लगाये चैनपुर प्रखंड के जगरियां पैक्स के अध्यक्ष संजय पांडेय ने बताया कि एक अरवा मिल में मिस्त्री, हेल्पर तथा पोलदारों को लेकर कम से दर्जन भर लोगों को पांच माह का रोजगार मिल जाता था. इसमें मिल चलाने वाले मिस्त्री को 10 हजार रुपये, हेल्पर को लगभग छह हजार रुपये और शेष पोलदारों की मासिक आमदनी भी पांच से छह हजार के बीच हो जाती थी. लेकिन, मिलों के कुटाई पर पाबंदी लगने के बाद इनका जहां रोजगार समाप्त हुआ है. वहीं, पैक्स की आमदनी भी बंद हो गयी है. इससे पैक्स अब सरकार के बकाया किस्त का भुगतान नहीं कर पायेंगे. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा अरवा चावल के कुटाई पर पांबदी लगा दिया गया है. लेकिन, इन मिलों को अरवा से उसना में बदलने या किस्त के राशि को जमा करने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था अभी नहीं दी गयी है.

Next Article

Exit mobile version