मुजफ्फरपुर: जिले में शिक्षा, सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था सहित कम उम्र में लड़कियों की शादियों में कमी आयी है. सरकार की ओर से चलायी जा रही जागरूकता के साथ लड़कियों की शिक्षा के लिए विशेष योजनाओं का असर जिले में दिख रहा है.
पिछले चार वर्षों की तुलना में जिले में काफी बदलाव आया है. सबसे बड़ी बात है कि यहां दस वर्ष से अधिक उम्र की लड़कियों में स्कूल जाने का प्रतशित दस फीसदी तक बढ़ा है. साथ ही सरकारी अस्पतालों के प्रति लोगों में विश्वास जगा है.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि जिले में शिक्षा और स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हुआ है. सरकारी अस्पतालों में बढ़े विश्वास का नतीजा ही है कि चार साल पहले तक दो साल तक के 71.8 फीसदी बच्चों का टीकाकरण होता था, जो बढ़ कर 83.7 बच्चों को हो रहा है.
आंकड़े बताते हैं कि जिले में करीब 18 से कम उम्र की लड़कियों की शादियों में करीब चार फीसदी की कमी आयी है. यह भी जागरूकता का परिणाम है. मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता का पालन करने वाली महिलाओं की संख्या में सबसे अधिक बढ़ोतरी हुई है. आंकड़े बताते हैं कि चार वर्षों में 34 फीसदी से भी अधिक महिलाएं अपने स्वास्थ्य के लिए स्वच्छता का ख्याल रखने लगी हैं.
महिलाओं में एनीमिया को कम करने की जरूरत है. आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि चार वर्ष पहले की अपेक्षा छह फीसदी अधिक महिलाएं एनीमिया पीड़ित हुई हैं. महिलाओं के शरीर में खून की कमी नहीं हो, इसके लिए जागरूकता जरूरी है. पांच वर्ष के अंतराल में बेटियों के जन्म में कमी आयी है. यह जिले के लिए अच्छी बात नहीं है. पहले 100 बच्चों पर 930 बच्चियां थी, जो घट कर 685 हो गयी है.
सर्वे का विषय – 2019-20 – 2015-16
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छह वर्ष और उससे अधिक उम्र की लड़कियों के स्कूल जाने का प्रतिशत – 65.1 – 57.8
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एक हजार बच्चों पर बच्चियां – 685 – 930
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दस वर्ष से अधिक उम्र की लड़कियों के स्कूल जाने का प्रतिशत – 33.8 – 22.6
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18 वर्ष से कम उम्र में लड़कियों की शादियां – 32.9 – 36.5
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मासिक धर्म के समय स्वच्छता का पालन – 67.8 – 34.2
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दो साल तक के बच्चे का टीकाकरण – 83.7 – 71.8
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सरकारी अस्पतालों में बच्चों का टीकाकरण – 98.0 – 91.2
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15 से 49 वर्ष तक की एनीमिया पीड़ित महिलाएं – 58.7 – 52.2