दिघलबैंक : धीरे धीरे नक्शे से गायब हो रहे ग्वालटोली पत्थरघट्टी गांव की सुधि लेने वाला कोई नहीं है. कनकई नदी पूरी तरह से इस गांव को अपने आगोश में लेने को तैयार हैं. कटाव तेजी से हो रहा हैं. लोगों को रातों की नींद और दिन का चैन गायब हो चुका है. लोग अभी भी प्रशासन की तरफ से राहत एवं रोकथाम कार्य की आस में बैठे हुए हैं.
बताते चलें की पानी के घटते ही कनकई नदी का कटाव काफी तेज हो गया है. ऐसे में नदी किनारे में बसे सभी गांवों को लीलने पर आतुर हैं.लोगों ने बोल्डर पीचिंग की मांग की है. ताकि परिवर्तित हुआ कनकई नदी की धारा को रोका जा सके.जिससे हजारों की आबादी को राहत मिल सकें.बाढ़ और कटाव से बर्बाद पत्थरघट्टी पंचायत वासी आजादी के समय से लेकर आज तक हर तरह से पिछड़ा और उपेक्षित है.वहीं पिछले कई वर्षों से कनकई नदी की त्रासदी का शिकार भी है. कई गांव के लोग विस्थापित होने का डंक अब तक झेल रहे हैं.
इस वर्ष तो कनकई नदी की धारा परिवर्तित होते ही करीब दर्जनों गांव का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है. यहां के लोग गंभीर संकट से गुजर रहे हैं. कनकई नदी ग्वालटोला पत्थरघट्टी के समीप कनकई नई धारा परिवर्तन कर बरसाती नदी में जा मिला हैं. जिसके वजह से 30 से 35 गांव सीधे नदी के चपेट में हैं.
नदी कटाव के सीधे प्रकोप का शिकार हो गए हैं.लगभग 50 से 60 हजार की आबादी इससे बुरी तरह प्रभावित है. लोग अपने गांव और घर को छोड़ने पर विवश और मजबूर हो गए हैं. विस्थापन व कंगाली की नौबत आ गई है.बताते चले कि इसी नई धार के कारण गोवाबाड़ी निर्माणधीन पुल भी क्षतिग्रस्त हो गया.
इसके साथ ही दर्जनों पुल पुलिया पर कटाव का खतरा बना हुआ है. करोड़ों रुपए की लागत से बनाये गये लोचा पुल का भी अस्तित्व खतरे में है. विकास से उपेक्षित यह पंचायत आज भी अपने दुर्दशा का रोना रोता है.नदी में बेहतर काम नहीं होने के कारण आज 35 गांव बाढ़ जैसे हालात से परेशान हैं. ग्वालटोली पत्थरघट्टी के समीप तटबंध और सड़क कार्य नहीं किया गया तो यह सभी गांव के ग्रामीण इस विधानसभा चुनाव में वोट बहिष्कार करेंगे.
Posted by Ashish Jha