मोहनिया सदर. अपने हैरतअंगेज कारनामों को लेकर लंबे समय से विवादों में घिरा रहने वाला अनुमंडल अस्पताल एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. इस बार तो अस्पताल प्रशासन ने जो किया, उसे देख व सुन कर आप भी हैरत में पड़ जायेंगे.
स्वास्थ्य विभाग कोरोना वायरस के साथ लोगों के स्वास्थ्य को लेकर कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पांच माह पहले मर चुके अधिवक्ता को बीते 11 अक्तूबर को कोरोना का दूसरा टीका भी लगा दिया गया.
दरअसल, मामला प्रखंड की भिट्टी पंचायत के करिगांव का है. वहां के रहने वाले अधिवक्ता अशोक कुमार सिंह की मृत्यु पांच माह पहले हो चुकी है. इसके बावजूद विभाग द्वारा सरकारी रिकॉर्ड में मृतक को कोविड-19 का दूसरा टीका लगा दिया गया है.
मृतक अशोक कुमार सिंह अनुमंडल न्यायालय कोर्ट में एक अधिवक्ता के रूप में कार्य करते थे. इनके परिजनों के अनुसार, कोविड-19 का पहला डोज दो अप्रैल 2021 को एचएससी मुजान में टीकाकर्मी किरण कुमारी द्वारा लगाया गया था.
मौत के मामले में परिजनों के अनुसार, अधिवक्ता की तबीयत बिगड़ गयी और उन्हें इलाज के लिए अनुमंडल अस्पताल लाया गया, जहां प्राथमिक इलाज के बाद चिकित्सकों ने उन्हें बेहतर इलाज के लिए वाराणसी रेफर कर दिया था.
वहां इलाज के दौरान चार अप्रैल को उनकी मौत बीएचयू में हो गयी थी. उनकी मौत को लेकर आठ सितंबर 2021 को बीएचयू द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र भी परिजनों को दे दिया गया. अधिवक्ता को कोविड-19 का पहला टीका लगने के बाद ही सेकेंड डोज की तिथि 11 अक्तूबर 2021 निर्धारित कर दी गयी थी.
सबसे अधिक चौंकाने वाली बात तो तब सामने आयी, जब अधिवक्ता के मोबाइल पर 11 अक्तूबर 2021 को शाम 4:14 बजे यह मैसेज मिला कि अधिवक्ता को कोविड-19 का दूसरा टीका भी सफलतापूर्वक अनुमंडल अस्पताल मोहनिया में टीकाकर्मी अन्नी कुमारी द्वारा लगा दिया गया है.
मोबाइल पर यह मैसेज मिलने के बाद मृतक अधिवक्ता के परिजन भी हैरत में पड़ गये और इसकी सत्यता जानने के लिए जब परिजनों ने कोविड-19 टीकाकरण सर्टिफिकेट निकलवाया, तो उसमें भी उक्त तिथि को कोविड-19 का सेकेंड डोज सफलतापूर्वक लगाये जाने का मामला सामने आया.
इस संबंध में जब प्रभारी सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र सिंह से पूछा गया कि क्या पांच माह पूर्व मर चुके लोग को भी कोविड-19 का सेकेंड डोज लगाया जा सकता है. इतना सुनने के बाद प्रभारी सीएस भी चौक उठे और जब उन्होंने पूरे मामले को समझा, तो कहा कि यह अनुमंडल अस्पताल में कार्यरत बीसीएम की लापरवाही है. मैं इस पूरे मामले की जांच कराऊंगा. इसके बाद ही कुछ कहेंगे.
Posted by Ashish Jha