मनोज कुमार, पटना. कतला मछली बिहारियों की पहली पसंद है. रोहू दूसरे स्थान पर है. कतला मछली का बिहार में उत्पादन 164.189 हजार मीट्रिक टन हो रहा है. रोहू का उत्पादन 154.794 हजार मीट्रिक टन हो रहा है. पसंदीदा मछली में मृगल का तीसरा स्थान है. मृगल को बिहार में नैनी मछली के नाम से जाना जाता है. इसका उत्पादन बिहार में 107.586 हजार मीट्रिक टन हो रहा है. पंगेशियस कॉमन, सिल्वर और ग्रास कार्प का भी उत्पादन बड़े पैमाने पर हो रहा है. बिहार का प्रति व्यक्ति साल भर में प्रतिवर्ष 6 किलो 464 ग्राम मछली खा जाता है.
37 हजार मीट्रिक टन दूसरे राज्यों में जा रही
राज्यभर से अभी 37.0545 हजार मीट्रिक टन मछलियां दूसरे राज्यों में भेजी जा रही हैं. 38.462 हजार मीट्रिक टन दूसरे राज्यों से बिहार में मछलियां आ रही हैं. वहीं, राज्य में में सिल्वर कार्प का उत्पादन 80.4113, ग्रास कार्प का 96.49262, कॉमन कार्प का 92.66252 हजार मीट्रिक टन प्रतिवर्ष हो रहा है. इनका अब बिहार में बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है. शरीर के आकार और बनावट से इनकी पहचान होती है. कैट फीस का 45.8596 तथा पंगेशियस मछली का उत्पादन 52.8796 हजार मीट्रिक टन हो रहा है. साथ ही अन्य मछलियों का उत्पादन 48.5901 हजार टन प्रतिवर्ष हो रहा है.
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उत्पादन में मधुबनी पहले, दरभंगा दूसरे व कटिहार तीसरे स्थान पर
मछली का उत्पादन दस वर्षों से लगातार बढ़ा है. वर्ष 2010-11 में 288.910 हजार टन मछली का उत्पादन हो रहा था. वर्ष 2022-23 में अब मछली का उत्पादन बढ़कर 846.29 हजार मीट्रिक टन प्रतिवर्ष हो गया है. मधुबनी में अभी राज्यभर में सबसे अधिक मछली का उत्पादन हो रहा है. मछलियों के उत्पादन में दरभंगा राज्यभर में दूसरे व कटिहार तीसरे नंबर पर है. मधुबनी में 88.96, दरभंगा में 82.6 तथा कटिहार में कुल 50.55 हजार मीट्रिक टन प्रतिवर्ष मछली का उत्पादन हो रहा है.
अरवल, जहानाबाद में सबसे कम मछली उत्पादन
जहानाबाद में मात्र 1.55 तथा अरवल में 1.57 हजार मीट्रिक टन ही मछली का उत्पादन हो रहा है. शिवहर में 2.96, जमुई में 3.99, बक्सर में 8.18, नवादा में 6.35 तथा किशनगंज में 7.51 हजार मीट्रिक टन ही मछली का उत्पादन हो रहा है.