पटना : प्रदेश के साढ़े तीन लाख से अधिक नियोजित शिक्षकों के मूल वेतन में न्यूनतम 2200 और अधिकतम 4000 का इजाफा होगा. हालांकि नेट सेलरी पर इसका असर बहुत कम दिखाई देगा. दिलचस्प बात है कि शिक्षकों के हाथ में मूल वेतन वृद्धि का केवल तीन फीसदी ही मिलेगा. यह देखते हुए कि उसकी बढ़ोतरी का 12 फीसदी इपीएफ में अंशदान के रूप में कट जायेगा. हालांकि सरकारी सूत्रों का कहना है कि वह हिस्सा उनके ही खाते में होगा. इसलिए उसका विशेष फायदा शिक्षकों को होगा.
इधर विशेषज्ञों का कहना है कि 2015 के बाद सैलरी में की गयी यह वृद्धि महंगाई के हिसाब से कम है. बावजूद कोरोना काल में इसे सकारात्मक संकेत माना जाना चाहिए. हालांकि यह मूल वेतन वृद्धि कब से प्रभावी होगी, यह अभी साफ नहीं है. बढ़ी हुई सैलरी के लिए शिक्षकों को अभी इंतजार करना पड़ेगा. इसलिए इसको लेकर शिक्षक सशंकित हैं.
सरकारी सूत्रों का मानना है कि नियोजित शिक्षकों की सैलरी में इजाफा कितना भी कमतर क्यों न हो, लेकिन इसमें पिछले 14 साल में 5-6 गुना इजाफा हो चुका है. 2006 की नियमावली के आधार पर 2007 में हुई नियुक्तियों में प्राथमिक मध्य शिक्षक की नियुक्ति पांच हजार, हाइस्कूल शिक्षक की नियुक्ति सात हजार और उच्च माध्यमिक हाइस्कूल के शिक्षकों की नियुक्ति आठ हजार रुपये पर हुई थी. 2015 से पहले तक दो बार एक-एक हजार रुपये बढ़ाये गये थे. वर्ष 2015 में वेतन वृद्धि के लिए नया वेतनमान और पे मेट्रिक्स तय किया गया.
पे मेट्रिक्स के आधार पर नियोजित शिक्षकों की सैलरी काफी बढ़ी. वेतनमान 5500-2020 रुपये तय किया गया. ग्रेड पे प्रारंभिक मध्य शिक्षकों का 2400, माध्यमिक का 2600 और उच्च माध्यमिक का 2800 तय किया गया. हालांकि नियमित शिक्षकों का वेतनमान उस समय 9300-34800 और ग्रेड पे 4200 रुपये था. फिलहाल ऐसे नियोजित शिक्षक जो 2007 में नियुक्त हुए, उनका वेतनमान करीब 31000 है. उनका मूल वेतन 27000 के आसपास होगा. यह ऐसे नियोजित शिक्षक हैं, जो स्नातक उत्तीर्ण हैं. इंटर पास नियोजित शिक्षकों का मूल वेतन मुश्किल से 17000-18000 के आसपास होगा. उच्च माध्यमिक स्कूल के नियोजित शिक्षकों की सैलरी 33000 के आसपास होगी.
posted by ashish jha