ग्राहकों से पैसा लेकर बिहार से भागने वाले बिल्डरों पर नकेल, रेरा ने यूपी, दिल्ली और महाराष्ट्र से बनाया समन्वय
लॉकडाउन के कारण भले ही अभी कार्यालय नहीं खुले हों, लेकिन बिहार रियल एस्टेट रेगुलेशन एथारिटी यानी रेरा की ओर से वर्चुअल माध्यम से काम जारी है. रेरा के नये अध्यक्ष नवीन वर्मा के कार्यभार संभालने के बाद कई नये प्रयास शुरू किये जा रहे हैं.
पटना. लॉकडाउन के कारण भले ही अभी कार्यालय नहीं खुले हों, लेकिन बिहार रियल एस्टेट रेगुलेशन एथारिटी यानी रेरा की ओर से वर्चुअल माध्यम से काम जारी है. रेरा के नये अध्यक्ष नवीन वर्मा के कार्यभार संभालने के बाद कई नये प्रयास शुरू किये जा रहे हैं. अब सबसे पहले रेरा की ओर से अन्य राज्यों के रेरा प्रशासन के साथ समन्वय बनाने का काम शुरू किया गया है. बिहार रेरा के सदस्य आरबी सिन्हा ने बताया कि यूपी रेरा के सदस्य बलविंर कुमार के साथ बैठक हुई है.
इसमें रेरा प्रशासन की ओर से इस बात पर सहमति बनी है कि अगर राज्य का कोई बिल्डर यहां से ग्राहकों का पैसा लेकर प्रोजेक्ट पर काम नहीं करता है और उस पैसे से दूसरे राज्य में किसी काम की शुरुआत करता है तो ऐसे मामले में बिल्डरों पर कार्रवाई करने के लिए दोनों तरफ से सहयोग किया जायेगा. इसके अलावा महाराष्ट्र के रेरा अध्यक्ष गाैतम चटर्जी के साथ भी यहां के रेरा अधिकारियों ने वर्चुअल बैठक की है. महाराष्ट्र से भी इस तरह का करार किया जा रहा है.
राज्य में 100 करोड़ के निवेशक कम दूसरी समस्या यह है कि वर्तमान समय में राज्य में 100 करोड़ या उससे अधिक के प्रोजेक्ट पर काम करने वाले बिल्डर या रियल एस्टेट कंपनी कम है. बड़ी कंपनियों में अग्रणी होम्स और साइन सिटी पर के अधितकतर प्रोजेक्टों पर पहने से विवाद चल रहा है.
ऐसे में यहां के रेरा के अधिकारियों का प्रयास है कि दिल्ली, एनसीआर, महाराष्ट्र आदि बड़े जगहों पर काम करने वाले बिल्डरों के साथ उस राज्य के रेरा की ओर से कैसे समन्वय स्थापित किया जाता है. इस बात को भी समझा जाये. इसके लिए अगर यहां अन्य प्रोफेशनल, सीए आदि के पैनल में विस्तार करना है तो रेरा की ओर से उसकी भी कार्रवाई की जायेगी.
जिन प्राेजेक्टों का काम पूरा हुआ, उसका ब्योरा जमा करने की समय सीमा 31 तक रेरा ने रियल इस्टेट कंपनियों व बिल्डरों को बड़ी राहत देते हुए जिन प्राेजेक्टों का काम पूरा हो गया है. उनका पूरा ब्योरा जमा करने की समय सीमा बढ़ा कर 31 मई तक कर दी है. रेरा की ओर निबंधित प्रमोटरों को यह सुविधा दी गयी है.
गौरतलब है कि हर साल वार्षिक रूप से बिल्डरों को अपने पूरा होने वाले प्रोजेक्ट के बारे में लिखित जानकारी देनी होती है. इसमें यह बताना होता है कि ग्राहकों की कितनी राशि का उपयोग किया गया. कितने फ्लैट आदि की बिक्री हो चुकी है. कितने फ्लैट हैंड ओवर हो चुके हैं और सीएस की ओर से आय-व्यय का ऑडिट रिपोर्ट को जमा करना होता है. इसके बाद रेरा की ओर से प्रतिदिन की हिसाब से एक हजार रुपये जुर्माना प्रति प्रोजेक्ट लगाया जायेगा.
Posted by Ashish Jha