पटना. कोराना की दूसरी लहर से गांधी सेतु के पूर्वी लेन का निर्माण कार्य पहले से ही बेहद धीमा हो गया था. रही-सही कसर यास तूफान और उसके साथ हुई चक्रवाती बारिश ने पूरी कर दी. पिछले तीन दिनों से यह काम लगभग बंद को गया है.
इससे मानसून आने के पहले अब नदी पाट का काम नहीं पूरा हो पायेगा और इस क्षेत्र में बचे कार्य को पूरा करने के लिए चार-पांच महीने का इंतजार करना पड़ेगा. बरसात के बाद नदी के दोनों ओर फैले पानी के सूखने के बाद ही काम दोबारा शुरू हो पायेगा. इससे प्रोजेक्ट को पूरा करने में देर होगी.
गांधी सेतु के पूर्वी लेन के निर्माण कार्य में बीते मार्च महीने तक हर दिन 1100 कर्मी लगे रहते थे, जिनमें 400 इंजीनियर और 700 टेेक्निशियन व मजदूर शामिल थे. लेकिन अप्रैल के पहले सप्ताह में कोरोना की नयी लहर के कारण इनमें कमी आनी शुरू हुई और हर दिन बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित होने की वजह से अप्रैल के अंत तक इनकी संख्या घट कर महज 100 के आसपास रह गयी.
इसप्रकार पिछले एक महीना से लगभग 10% मजदूर ही यहां काम कर रहे हैं. इसके कारण पुल के पुराने कंक्रीट निर्मित सुपर स्ट्रक्चर को काटकर हटाने और उसकी जगह स्टील का सुपरस्ट्रक्चर बनाने का काम लगभग बंद हो गया है और बरसात से पहले डूब क्षेत्र का काम पूरा करने का प्रयास हो रहा था. हालांकि उसके पूरे होने की भी अब बहुत कम संभावना दिख रही है.
पिलर संख्या 27 से 39 तक का क्षेत्र नदी के उन तटवर्ती क्षेत्रों में शामिल है जो मॉनसून के पहले दौर की बारिश के बाद ही नदी के जल में समा जाते हैं. इनमें पिलर संख्या 27, 29, 31 और 35 पर बनने वाले चार पियर कैप का निर्माण अभी भी अधूरा है, जिसे पूरा करने के लिए उपलब्ध मानव संसाधन को लगाया गया था. लेकिन यास के कारण निर्माण स्थल के आसपास जलजमाव ने काम बाधित कर दिया.
Posted by Ashish Jha