बिहार के बेगूसराय में अपराधियों ने स्कूल में प्रवेश कर शिक्षकों से 50 हजार रूपए की रंगदारी मांगी है. इस घटना के बाद स्कूल के सभी शिक्षक स्कूल में ताला लगाकर बीआरसी भवन में अपना योगदान दे दिया है और इसकी सूचना बीइओ को दे दी है. यह पूरा मामला जिला के नवसृजित प्राथमिक विद्यालय, चमरडीहा से जुड़ा है. घटना के संबंध में स्कूल के शिक्षकों ने बीइओ को लिखति आवेदन दिया है. उन्होंने अपने आवेदन लिखकर अपनी सुरक्षा की गुहार लगायी है. उन्होंने बताया कि मैं और मेरे स्कूल के चार शिक्षक बच्चों के बीच पठन-पाठन का कार्य संपादित कर रहे थे.
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पहसारा के सुनील सिंह तथा पूर्व रसोइया निर्मला देवी के पुत्र अंकेश कुमार अन्य चार साथियों के साथ स्कूल में प्रवेश कर गया. सभी शिक्षकों को प्रधानाध्यापक कक्ष में बुलाकर पिस्तौल लहराते हुए कहा कि मेरे पिताजी जेल में है, उन्हें जेल से छुड़ाना है. इसके लिए सभी शिक्षक मिलकर पचास हजार रुपये शनिवार को पहुंचा दो .नहीं देने पर उसने जान से मारने की धमकी दी. सभी शिक्षक इस घटना से भयभीत हो गये. इसके बाद बच्चों को छुट्टी देकर स्कूल में ताला लगाकर बीआरसी भवन में अपना योगदान दे दिया. इसमें हेडमास्टर रवींद्र ठाकुर, सहायक शिक्षक अरविंद कुमार, संजय कुमार, मो बरकतुल्लाह, रश्मि कुमारी शामिल हैं.
कोर्ट के बार-बार आदेश के बाद भी अनुपालन नहीं करने के मामले को सीजेएम मानवेंद्र मिश्र के कोर्ट ने गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि कटेया थाने के संबंधित पुलिस पदाधिकारी के द्वारा जानबूझ कर न्यायालय के आदेश का अवहेलना की जा रही है. आइओ की घोर उपेक्षा एवं उदासीन कार्यप्रणाली के कारण अधिनियम का मूलभूत उद्देश्य विफल हो रहा है, जो एक गंभीर विषय है. कोर्ट ने एसपी को तत्काल प्रभाव से कटेया थाना कांड सं.41/2023 के आइओ का वेतन (जीवन निर्वहण भत्ता को छोड़ कर) न्यायिक आदेश के अनुपालन कराने तक रोकने का आदेश दिया जाता है. कोर्ट 15 दिनों के अंदर एसपी से कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की है.
चार जुलाई से प्रभावित हो रही कोर्ट की प्रक्रिया कटेया थाना कांड़ सं. 41/ 2023 में आवेदक भोला चौहान की ओर से टाटा पिकअप को मुक्त करने के लिए अपील कोर्ट में दाखिल किया गया. इस पर सुनवाई के पश्चात उक्त वाहन के मुक्ति के संबंध में अनुसंधानकर्ता से प्रतिवेदन की मांग पत्रांक 564 / 23 दिनांक 04 जुलाई से की गयी. संबंधित कांड के आइओ के द्वारा आज तक किसी प्रकार का कोई प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया. कोर्ट के हर आदेश की हुई अवहेलना कोर्ट की ओर से बार-बार कांड के आइओ को आदेश दिया गया. हर आदेश को रद्दी की टोकरी में डाला गया. आइओ को 11 अगस्त को कारण पृच्छा पत्रांक 859 दिनांक.
19 सितंबर के द्वारा निर्गत किया है, जिसे थाने के चौकीदार के द्वारा प्राप्त कराया गया है. इसके बाद अनुसंधानकर्ता के द्वारा न्यायिक आदेश का अनुपालन नहीं किये जाने के कारण उनके विरुद्ध पत्रांक 925 दिनांक 04 अक्तूबर धारा 349 दंप्रसं के अंतर्गत नोटिस भी निर्गत किया गया है. इसे थाने की चौकीदार आरती देवी को प्राप्त कराया गया है. उसके बाद भी आइओ के द्वारा न तो प्रतिवेदन भेजा गया और न कोई आवेदन ही दिया गया है. एक्सपर्ट व्यू: धारा 309 में आइओ पर अर्थदंड का अधिकार कानूनविद वेद प्रकाश तिवारी ने बताया कि दंड प्रक्रिया की धारा 309 न्यायालय को यह अधिकार देती है कि वह किसी पक्षकार के ऊपर, जो कि वाद के निष्पादन में देरी के लिए जिम्मेदार हो अर्थदंड आरोपित कर सकता है