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छत गिरने से घायल बच्चे को डॉक्टर ने बताया मृत, अंत्येष्टि के समय देखा तो चल रही थीं सांसें

नगर थाना क्षेत्र के रूपगंज मुहल्ले में दीवार गिरने से आठ वर्षीय बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया. परिजन उसे सदर अस्पताल ले गये तो वहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया, लेकिन अंत्येष्टि समय परिजनों ने देखा की बच्चे की सांसें चल रही हैं.

छपरा. नगर थाना क्षेत्र के रूपगंज मुहल्ले में दीवार गिरने से आठ वर्षीय बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया. परिजन उसे सदर अस्पताल ले गये तो वहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया, लेकिन अंत्येष्टि समय परिजनों ने देखा की बच्चे की सांसें चल रही हैं. इसके बाद बच्चे को एक निजी क्लिनिक में ले जाया गया, जहां से डॉक्टर ने उसे सदर अस्पताल रेफर कर दिया.

सदर अस्पताल में जाने पर डॉक्टरों ने फिर से बच्चे को मृत बताया. इससे गुस्साये परिजनों ने हंगामा करते हुए अस्पताल में तोड़फोड़ की. मृत बच्चा अंश कुमार उर्फ नुनु स्वरूपगंज निवासी बबलू कुमार श्रीवास्तव जनों ने बताया कि बच्चा छत पर फूल के पौधों में पानी डालकर नीचे आ रहा था कि तभी छत गिर गयी.

सदर अस्पताल में डयूटी पर तैनात चिकित्सक हरेंद्र कुमार ने उसे मृत घोषित कर दिया. परिजन उसे अंत्येष्टि के लिए गंगा किनारे लेकर गये. वहां जब आखिरी दर्शन के लिए शव पर से कफन को हटाया गया, तो उसकी सांसें चल रही थीं. परिजन उसे इलाज के लिए का पुत्र था. परि एक निजी क्लिनिक में ले गये, जहां चिकित्सक ने उसे पुनः सदर अस्पताल रेफर कर दिया.

जब सदर अस्पताल लाया गया, उसके बाद अस्पताल प्रबंधक समेत कई चिकित्सक उसकी स्थिति को देखने के लिए पहुंचे. इसके बाद बच्चे को फिर से मृत घोषित कर दिया गया. इसके बाद परिजन और मुहल्लावासी आक्रोशित हो गये और अस्पताल में तोड़फोड़ शुरू कर दी. इससे सभी चिकित्सक वहां से भाग गये.

इसी बीच अस्पताल में भर्ती डायरिया पीड़ित बच्चे की मौत हो गयी. मृत बच्चा कोपा थाना क्षेत्र का परमेश्वर राम का छह वर्षीय पुत्र था. उसके परिजनों का आरोप था कि चिकित्सक अगर छोड़कर भागे नहीं होते तो बच्चे की जान बच जाती.

इधर, हंगामे की सूचना पर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी मुनेश्वर प्रसाद सिंह, भगवान बाजार थानाध्यक्ष मुकेश झा व नगर इंस्पेक्टर विमल कुमार दल-बल के साथ पहुंच गये. सभी पुलिसकर्मियों ने काफी देर तक परिजनों को समझाया, जिसके बाद आक्रोश शांत हुआ.

परिजनों ने लगाये गंभीर आरोप

परिजनों का आरोप था कि उनका बच्चा अस्पताल में इलाज के दौरान तक ठीक था, लेकिन ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया. अगर समय रहते उसे बेहतर इलाज दिया गया रहता, तो शायद वह बच जाता.

अंश अपने मां-बाप का इकलौता चिराग था. इस घटना से परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी सिविल सर्जन ने न तो परिजनों का फोन उठाया और न ही अस्पताल में स्थिति का जायजा लेने के लिए पहुंचे.

बाद में उपाधीक्षक डॉ राम इकबाल प्रसाद सदर अस्पताल में पहुंचे, जहां उन्होंने परिजनों से बात कर कहा कि अगर डॉक्टर की लापरवाही होगी, तो उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जायेगी. वहीं मृतक के पिता के बयान पर नगर थाने में चिकित्सक डॉ हरेंद्र कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है.

Posted by Ashish Jha

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