पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि फसल का नुकसान होने पर राज्य के अधिक-से-अधिक किसानों को सहायता देने के लिए हमने केंद्र सरकार की योजना की जगह अपनी योजना बनायी थी. केंद्र सरकार की फसलों की क्षतिपूर्ति को लेकर बनी नीति की खामियों को बताते हुए मुख्यमंत्री ने सोमवार को विधान परिषद में कहा कि उनको (सीएम) केंद्र का प्रस्ताव ठीक नहीं लगा था.
मुख्यमंत्री ने संजय कुमार सिंह के एक तारांकित प्रश्न के जवाब में हस्तक्षेप करते हुए बोल रहे थे. संजय कुमार सिंह ने बेगूसराय जिले के शाम्हो अकहा, कुरहा प्रखंड में 2016-17 में बाढ़ में फसल बर्बाद हाेने से पीड़ित किसानों को बीमा की प्रीमियम राशि जमा करने और केसीसी होने के बाद भी फसल का मुआवजा अब तक नहीं मिलने का मामला उठाया था.
सीएम ने कहा कि केंद्रीय फसल बीमा योजना को हम पहले ही लागू नहीं करना चाहते थे. हमने उस समय कहा भी था कि केंद्र की इस योजना में किसानों को कभी भी ठीक समय पर मुआवजा नहीं मिलेगा. लेकिन, विभाग उसे मंजूर कर चुका था. इस कारण उस साल (2016-17) लागू हो गया. इसके बाद राज्य सरकार ने अपनी योजना बनायी.
वर्तमान में इस योजना में हर किसान को सहायता मिलती है. केंद्र की योजना की खामी गिनाते हुए सीएम ने कहा कि राज्य सरकार जितनी राशि देती थी, उतनी राशि की किसानों को नहीं मिलती थी.
संजय कुमार सिंह के तारांकित प्रश्न पर कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि वर्ष 2016 में बेगूसराय जिले के लिए जो बीमा कंपनी चयनित थी, उससे सिर्फ तीन किसान बीमित थे. उनको सवा दो लाख रुपये का भुगतान हुआ.
खरीफ में जिस कंपनी का चयन किया गया, उससे बीमित किसी भी किसान को सहायता नहीं मिली. मंत्री ने बताया कि अब फसल सहायता योजना में किसानों को प्रीमियम दिये बिना ही नुकसान की भरपाई कर दी जाती है.
Posted by Ashish Jha