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बिहार में खेती पर बारिश का असर, कई जगहों पर गल गये धान के बिचड़े, मूंग भी पानी में डूबी

समय से पहले सामान्य से अधिक बारिश और बाढ़ से बिहार में कई फसलों को भारी नुकसान हुई है़ फल और सब्जियों को अधिक नुकसान है़ धान की रोपनी प्रभावित हुई है, कहीं बिचड़ा गल गया है़ कृषि विभाग का मानना है कि मौसम का मिलाजुला असर रहा है़ हालांकि, अभी कहां कितना नुकसान हुआ है इसका आकलन किया जा रहा है़

पटना. समय से पहले सामान्य से अधिक बारिश और बाढ़ से बिहार में कई फसलों को भारी नुकसान हुई है़ फल और सब्जियों को अधिक नुकसान है़ धान की रोपनी प्रभावित हुई है, कहीं बिचड़ा गल गया है़ कृषि विभाग का मानना है कि मौसम का मिलाजुला असर रहा है़ हालांकि, अभी कहां कितना नुकसान हुआ है इसका आकलन किया जा रहा है़

उपनिदेशक अनिल झा का कहना है कि आम और धान अधिक प्रभावित हुए़ आम को गरमी चाहिए. धान को पानी लेकिन तूफान ताऊते और माॅनसून के कारण नमी अधिक रही़ इससे खेती को दिक्कत आयी़ बारिश के कारण कई जगहों पर समय से रोपनी हाे पायी है़ जहां बाढ़ नहीं आयी केवल बारिश हुई वहां खेती के लिए अच्छे हालात बने हैं.

धान को पानी पसंद है, तीन से पांच सेंटीमीटर पानी पर किसान रोपनी कर लेते है़ं बाढ़ – बारिश के कारण जो बिचड़ा लगाया था वह खत्म हो गया है़ किसान ने अब बिचड़ा के लिए परेशानी हो रही है़ वहीं, जिन्होंने फसल रोप दिया था उनकी फसल फसल का नुकसान हुआ है़

नाॅर्थ बिहार में ऐसा अधिक हुआ है़ खेत में पानी लगने से मकई की फसल खराब हुई है़ दरभंगा – तिरहुत, कोसी, पूर्णिया प्रमंडल में मूंग भी पानी के अंदर गल- सी गयी है़ मूंग पर जहां फली आ गयी थी वहां भारी नुकसान हुआ है़ गरमा की सब्जी भी बहुत प्रभावित हुई हैं

आम- लीची को लगे कई तरह के रोग

डॉ राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा के प्रोफेसर प्लांट पैथोलॉजी सह निदेशक अनुसंधान डॉ एसके सिंह का कहना है कि इस साल मई के महीने में 11 दिन बारिश हुई. अधिकतम तापमान 32.1 और न्यूनतम तापमान 22.5 डिग्री सेल्सियस रहा़ वहीं, जून में 20 दिन बारिश हुई. अधिकतम तापमान 32.5 एवं न्यूनतम तापमान 24.8 डिग्री सेल्सियस का औसत रहा़

जलवायु में यह भारी परिवर्तन है़ इसके अलावा ताऊते एवं यास तूफान तथा समय से चार दिन पहले माॅनसून आने से बहुत सारे कीट एवं रोग प्रमुख पेस्ट के रूप में उभरे है़ं बारिश से फल छेदक कीट, फल मक्खी, स्केल इंसेक्ट ,रेड रस्ट , सूटी मोल्ड, श्यामवर्ण (एंथ्रेक्नोज) आदि रोग ने आम एवं लीची की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है़

फलों की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ा है़ बिहार में आम की खेती 149 हजार हेक्टेयर में होती है़ कुल उत्पादन 2443 हजार टन है़ बिहार में आम की उत्पादकता 16.37 टन प्रति हेक्टेयर है़ वहीं, लीची की 36.26 हेक्टेयर क्षेत्रफल में होती है़ इसका उत्पादन औसत 307.99 फीसदी है़

Posted by Ashish Jha

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