पटना. भीषण आपदा या ब्लैकआउट की स्थिति होने पर भी आने वाले समय में पटना और रांची शहर की बिजली गुल नहीं होगी. इन दोनों शहरों में केंद्र सरकार की आइलैंडिंग स्कीम के तहत आधारभूत संरचना विकसित की जायेगी, जिससे अचानक से ब्लैकआउट होने पर भी दोनों शहरों की बिजली आपूर्ति को बहाल रखा जा सके.
शुक्रवार को कोलकाता में हुई इस्टर्न रीजन पावर कमेटी (इआरपीसी) की बैठक में इसकी मंजूरी मिल गयी. इस बैठक में बिहार से ऊर्जा सचिव संजीव हंस ने भाग लिया. राज्य सरकार को इसके लिए आवश्यक आधारभूत संरचना विकसित करने को लेकर डीपीआर तैयार करने का निर्देश दिया गया है. डीपीआर की मंजूरी मिलते ही राशि का आवंटन कर दिया जायेगा और काम शुरू हो जायेगा.
जुलाई, 2012 की ग्रिड गड़बड़ी के दौरान कोलकाता में आइलैंडिंग स्कीम काफी सफल रहा. इसके चलते पूर्वोत्तर के कई राज्यों में ब्लैक आउट होने के बावजूद कोलकाता शहर में बिजली आपूर्ति को सुचारू रखा जा सका था. सीइएससी प्रणाली और कई छोटे सीपीपी सिस्टम पर कुछ लोड देकर शहर के ग्रिड को सफलतापूर्वक चालू रखा गया. आइलैंडिंग के चलते ही सिस्टम की दोबारा आसानी से बहाली में मदद मिली.
आइलैंडिंग ब्लैकआउट के दौरान पावर सिस्टम डिफेंस प्लान के तहत बिजली व्यवस्था बनाये रखने का अंतिम उपाय है. इस ऊर्जा रक्षा तंत्र में सिस्टम के एक भाग को पूरी तरह दूसरे प्रभावित ग्रिड से अलग किया जाता है, ताकि यह उप-भाग ग्रिड के बाकी हिस्सों से अलग होने पर भी चालू रह सके. अभी पटना को दो-तीन स्त्रोत से बिजली आपूर्ति होती है.
आइलैंडिंग में कई स्रोत होंगे, जिसमें एक के फेल होने पर अन्य ट्रांसमिशन माध्यमों का इस्तेमाल आसानी से हो सकेगा. आइलैंडिंग योजना एक बड़ी ग्रिड गड़बड़ी के दौरान ब्लैकआउट से बचाने में हमारी मदद करता है. साथ ही बंद पड़े ग्रिड की त्वरित बहाली में भी मदद करता है.
ऊर्जा विभाग के सचिव संजीव हंस ने कहा कि अगले साल बरसात से पहले आइलैंडिंग सिस्टम पटना में शुरू कर दिया जायेगा. इसके लिए डीपीआर जल्द बनाने की कार्रवाई शुरू की जायेगी.
Posted by Ashish Jha