जलस्तर कम होते ही बेकाबू हुआ गंडक का कटाव, तीन दर्जन घर नदी में समाये, विभाग लाचार

गंडक में पानी का डिस्चार्ज घटने के साथ ही कटाव बेकाबू होता जा रहा है. कटाव को रोक पाने में विभाग लाचार बना हुआ है. वाल्मीकिनगर बराज से नदी में पानी का डिस्चार्ज गुरुवार को 95200 क्यूसेक दर्ज किया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | September 17, 2021 12:40 PM

गोपालगंज. गंडक में पानी का डिस्चार्ज घटने के साथ ही कटाव बेकाबू होता जा रहा है. कटाव को रोक पाने में विभाग लाचार बना हुआ है. वाल्मीकिनगर बराज से नदी में पानी का डिस्चार्ज गुरुवार को 95200 क्यूसेक दर्ज किया गया.

वहीं खतरे के निशान से नदी कालामटिहनियां में अभी 12 सेमी ऊपर है. जबकि पतहरा में 12 सेमी नीचे जा चुकी है. विगत एक सप्ताह से नदी की धारा कटाव कर रही है. कटाव के इस दौर में जिले के तीन दर्जन से अधिक लोगों के घर नदी में विलीन हो चुके हैं.

80 एकड़ से अधिक गन्ने की फसल का नामोनिशान नहीं है. ऐसे में नदी के तांडव से बचने के लिए कोई अपना घर तोड़ रहा है तो कोई असमय गन्ने की फसल को काट रहा है. मांझा प्रखंड के निमुईंयां पंचायत के सखवां टोक, गछु टोला, बुझी रावत के टोला, माया तिवारी के टोला जहां वार्ड संख्या 1, 2, 7 एवं 8 के लोग अपने पक्का बिल्डिंग, पलानी, झोपड़ी तोड़कर जोने को विवश हैं. ये टोला इतिहास बनने को तैयार है.

आने वाले समय में इस जगह को भी पहचानना मुश्किल होगा कि कभी यहां गांव था. सखवां गांव बेशक गंडक की तलहटी में बसा था, लेकिन यहां के लोग भी यहां जीवन जीकर खुश थे. जमाने से बसे लोगों ने अपनी खून-पसीना बहाकर तिनका-तिनका संजोय कर सपनों का आशियाना बनाया था, आज उसी आशियाने को सीने में दर्द लिये लोग उजाड़ रहे हैं.

यह दर्द पहली दफा नहीं है, बल्कि डेढ़ दशक में एक दर्जन से अधिक गांव बेचिरागी हुए हैं. 50 हजार परिवार बेघर हुआ. किसी का घर गंडक ने लील लिया, तो किसी ने भय से गांव हीं छोड़ दिया. इस बार भी बाढ़ नहीं है, लेकिन नदी की कटावी धारा लोगों को उजाड़ रही है.

लगभग 50 परिवार वाला यह गांव खाली हो रहा है. गांव के राधेश्याम यादव, बिरजू यादव, आनंद तिवारी, बलराम तिवारी, अदालत सहनी, मंगनी सहनी, अशर्फी सहनी, लल्लन सहनी आदि बताते हैं कि घर छोड़ने का दर्द भला किसे नहीं हो सकता, लेकिन हम लोग करें तो क्या.

Posted by Ashish Jha

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